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बरसात के बाद हिमाचल में मनाया जाता है अखरोट का त्योहार, ये है मान्यता - KANGRA NEWS

उत्सव पर घरों में कई प्रकार के व्यंजन बनते हैं. घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग आते हैं. सायर के त्योहार में लोग आपस में अखरोट बांटते हैं. सायर को अखरोट का त्योहार भी कहा जाता है.

Sair celebration in Himachal
Sair celebration in Himachal

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Published : Sep 16, 2020, 9:46 AM IST

Updated : Sep 16, 2020, 10:25 AM IST

धर्मशाला:देवी-देवताओं का प्रदेश हिमाचल पूरे देश में देव भूमि के नाम से जाना जाता है. यहां हर साल अनेकों मेले ओर त्योहार मनाए जाते हैं. भारतीय वर्ष के अनुसार हर महीने में कोई न कोई उत्सव या त्योहार मनाया जाता है.

भाद्र माह के समाप्त होते ही अश्विन माह शुरू होता है. माह के पहले दिन ही उत्सव होता है जो कि सायर के नाम से जाना जाता है. यह उत्सव हिमाचल के सीमित जिलों में ही मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है सायर (सैर) उत्सव

एक दौर था जब सुख-सुविधाओं का अभाव था. हर साल बरसात के मौसम में कई बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं का लोग शिकार होते थे जो लोग बच जाते थे. वे अपने आप को भाग्यशाली समझते थे और बरसात के बाद पड़ने वाले इस उत्सव को खुशी-खुशी मनाते थे. तब से लेकर आज तक इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

प्रदेश के कुछ हिस्सो में ही मनाया जाता है उत्सव

कांगड़ा में भी सायर का त्योहार सदियों से धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन घर के बुजुर्ग व महिलाएं हाथ में भोजन की थालियां एक-दूसरे को परोसती हैं. सुबह से लेकर शाम तक अखरोट से खेल का दौर जारी रहता है. इस दिन परिवार के तमाम सदस्य नाई के आने की राह देखते हैं. सुबह नाई घर-घर जाकर अपने साथ लाए घमीरू सायर की पूजा करवाता है, जिसे सैर वंदना कहते हैं.

सक्रांति के पहले दिन नाथ संप्रदाय जिन्हें जोगी भी कहा जाता है, वह घमीरू लाकर घर के अंदर रखता है, जिसकी सपरिवार पूजा की जाती है. इनके साथ बरसात में होने वाले फल-सब्जियां भिंडी, मक्की को घमीरू के साथ रखते हैं. प्रातः नाई से सायर का पूजन करवाने के बाद अखरोट दक्षिणा के रूप में भेंट करते हैं.

मान्यता है कि इस दिन कोई मक्की और खीरा नहीं खाता. इसके पीछे धारणा है कि इस दिन मक्की व खीरा खाने वाला व्यक्ति गधा या गीदड़ बनता है. इस दिन शाम को बच्चे समूह में गांव में घर-घर जाकर सायर गीत गाते हैं.

स्वादिष्ट व्यजनों के लिए भी जाना जाता है सायर

इस उत्सव पर घरों में कई प्रकार के व्यंजन बनते हैं. घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग आते हैं. सायर के त्योहार में लोग आपस में अखरोट बांटते हैं. सायर को अखरोट का त्योहार भी कहा जाता है. सदियों से सायर मनाने का विशेष महत्व है. बता दें कि इस बार सायर 17 सितंबर को मनाई जाएगी.

Last Updated : Sep 16, 2020, 10:25 AM IST

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