कांगड़ा/फतेहपुर:हिमाचल की सत्ता का रास्ता जिला कांगड़ा से होकर गुजरता है. इस जिले को जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल ऐड़ी चोटी का जोर लगाते हैं. इसी जिले में एक ऐसी भी सीट है, जहां की जनता बाहरी प्रत्याशी को नकारती आई है. यह सीट जिला कांगड़ा की फतेहपुर विधानसभा सीट है. इस सीट पर बाहरी प्रत्याशी कभी जीत का स्वाद नहीं चख पाया है. बीजेपी पिछले 13 सालों से बाहरी व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाकर फतेहपुर में भेजती आई और हार का मुंह देखती रही है. (Himachal assembly election 2022) (Fatehpur Assembly Constituency)
भाजपा ने फिर बाहरी को टिकट दिया:इतिहास गवाह है की बीजेपी की यही गलती पिछले 13 सालों से उसके वनवास का कारण भी बनी हुई है. इस बार भी बीजेपी ने पिछली हारों को दरकिनार करते हुए फिर से बाहरी प्रत्याशी को यहां से टिकट दिया है. बीजेपी ने इस बार नूरपुर के विधायक और वन मंत्री राकेश पठानिया को फतेहपुर से अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है. अब देखना यह है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है, या फिर राकेश पठानिया एक नया इतिहास इस क्षेत्र से लिखते हैं. (BJP Candidate from Fatehpur) (Rakesh Pathania BJP Candidate from Fatehpur)
बलदेव ठाकुर को नहीं मिली जीत:अगर हम इतिहास पर जाए तो वर्ष 2012 में चुनाव के परिणामों की घोषणा 20 दिसंबर 2012 को की गई. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 68 सीटों के लिए मतदान हुआ था. कांग्रेस ने 36 सीटों पर जीत दर्ज की, बीजेपी को 26 सीटों पर जीत मिली जबकि निर्दलीय 5 सीटों पर और कांग्रेस 1 सीट पर विजयी रही मगर तब बीजेपी ने फतेहपुर से बलदेव ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिस पर बाहरी दूत होने का आरोप था. बलदेव ठाकुर ज्वाली विधानसभा के भोल पंचायत से संबंध रखते हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया से हुआ था और बलदेव ठाकुर को हार का मुंह देखना पड़ा था.