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धर्मशाला: श्रम नियमों में संशोधनों के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ का हल्लाबोल

भारतीय मजदूर संघ ने श्रम नियमों में सुधार के विरोध में धर्मशाला में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों ने अपने हितों की आवाज बुलंद की. संघ ने केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग की है कि पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए. आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी कर्मी घोषित किया जाए.

protest against amendments in labor rules
नारेबाजी करते प्रदर्शनकारी.

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Published : Oct 28, 2020, 6:50 PM IST

धर्मशाला: केंद्र सरकार द्वारा श्रम नियमों में संशोधनों के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने बुधवार को देशभर में विरोध दिवस मनाया. इसी कड़ी में जिला कांगड़ा मुख्यालय धर्मशाला में भी भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं जिला कांगड़ा अध्यक्ष मदन राणा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. इस दौरान सैकड़ों आशा वर्कर्स, आंगनबाड़ी कर्मियों सहित भामसं से जुड़े श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

प्रदर्शन के दौरान आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों ने अपने हितों की आवाज बुलंद की. प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन के पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय श्रम मंत्री को ज्ञापन भेजकर भारत सरकार द्वारा श्रमिक संहिताओं में जो श्रमिकों को प्रभावित करने वाले संशोधन या प्रावधान किए गए हैं, उन्हें जल्द ठीक करने की मांग की.

वीडियो.

भारतीय मजदूर संघ के जिला कांगड़ा अध्यक्ष मदन राणा ने कहा कि पहले संघ ने सरकार जगाओ अभियान चलाया था. इसके उपरांत संघ की बैठक में निर्णय लिया गया था कि अगर सरकार ने मजदूर विरोधी निर्णयों को वापिस नहीं लिया तो आंदोलन किया जाएगा. इसी कड़ी में आज धर्मशाला जिला मुख्यालय सहित देशभर में इस तरह के प्रदर्शन किए जा रहे हैं. संघ ने केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग की है कि पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए. आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी कर्मी घोषित किया जाए. इसके अलावा अन्य मांगों बारे भी केंद्र व प्रदेश सरकारों को अवगत करवाया गया है.

प्रदर्शन में पहुंची आशा वर्कर लता का कहना है कि प्रदेश सरकार ने फरवरी माह में आशा वर्कर के लिए 500 रुपये राशि बढ़ाने की घोषणा की थी, जिसका भुगतान अभी तक आशा वर्कर्स को नहीं किया गया है. कोविड काल में आशा वर्कर्स ने फ्रंट लाइन में आकर सेवा की है. इसके बावजूद सरकार हमारी मांगों को नजर अंदाज कर रही है. सरकार से मांग है कि आशा वर्कर्स को स्थायी पॉलिसी में लिया जाए, सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये किया जाए.

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