धर्मशाला: चीन ने अपनी नापाक हरकतों से एक बार फिर भारत के कंधे पर छूरा घोंपने की कोशिश की है. 1967 ( सड़सठ) के बाद यह ऐसा दूसरा मौका है जब भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर हिंसक झड़प हुई. शांति का राग अलापने वाले चीन ने इस कदर जहर उगला की दोनों ही देशों के बीच भारी तनाव की स्थिति पैदा हो गई है.
हिमाचल के धर्मशाला में चीन की इस हरकत का भारी विरोध देखने को मिल रहा है. मैक्लोडगंज स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार के मुख्यालय के पास तिब्बतियों ने चीन के खिलाफ विरोध जताया. तिब्बती यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने मैक्लोडगंज में चीन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
तिब्बती यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने हाथ में बैनर लेकर तिब्बतियों, भारतीयों और पूरी दुनिया के लोगों को चीन में बने उत्पादों का बहिष्कार करने का आग्रह किया. तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के निवास स्थान और निर्वासित तिब्बत सरकार के मुख्यालय के पास तिब्बतियों ने चीन सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
प्रदर्शन के दौरान तिब्बतियों ने कोरोना के चिह्न वाला लाल रंग का एक गुब्बारा भी बनाया था. जिसपर मेड इन चाइना लिखा था. यानी इस गुब्बारे के जरिये साफ संदेश दिया गया कि कोरोना वायरस चीन से आया है. जिससे पूरी दुनिया इस वक्त त्रस्त है. तिब्बती नागरिकों ने मैक्लोडगंज में चीन सरकार के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया.
गौरतलब है कि भारतीय और चीनी सेना के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में लगभग 17,000 फीट ऊंची गलवान घाटी में सोमवार की रात हुई हिंसक झड़प ने एक घातक मोड़ ले लिया है. दरअसल, सीमा पर भारत और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की सूचना है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीन के 43 सैनिकों के हताहत होने की खबर है. ईटीवी भारत से बात करते हुए सेना के सूत्रों ने बताया कि सोमवार को हुई घटना में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू सहित कम से कम 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की पुष्टि की हुई है और अन्य 10 सैनिकों के लापता होने की सूचना है. कई सैनिकों के घायल होने की भी सूचना है.
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