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कोरोना काल में अभिभावकों को राहत, केवल ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे निजी स्कूल

अभिभावकों को राहत देते हुए प्रारम्भिक शिक्षा उप निदेशक कांगड़ा राजकुमार शर्मा ने बताया कि निजी स्कूल अपनी पाठशालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों से पिछले वर्ष 2019-20 की तरह इस वर्ष अन्य फंड को छोड़कर केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं और वह भी पिछले वर्ष की ट्यूशन से ज्यादा न हो.

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Published : Jun 10, 2020, 7:57 PM IST

Deputy director of elementary education
प्रारम्भिक शिक्षा उप निदेशक

धर्मशाला:कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल बंद हैं. स्कूलों में आमतौर पर तीन-तीन माह की फीस एक साथ ली जाती है. मार्च से लॉकडाउन के चलते लोगों को दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है, ऐसे में स्कूल की भारी-भरकम फीस चुकाने को लेकर अभिभावको को चिंता सता रही है.

अभिभावकों को राहत देते हुए प्रारम्भिक शिक्षा उप निदेशक कांगड़ा राजकुमार शर्मा ने बताया कि निजी स्कूल अपनी पाठशालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों से पिछले वर्ष 2019-20 की तरह इस वर्ष अन्य फंड को छोड़कर केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं और वह भी पिछले वर्ष की ट्यूशन से ज्यादा न हो.

राजकुमार शर्मा ने बताया कि कोई भी निजी स्कूल एक साल या छ महीने या तीन महीनों की टयूशन फीस एक साथ न लें, केवल प्रति महीना ही ट्यूशन फीस ली जाए. यदि कोई छात्र फीस न दे सके तो उसका नाम पाठशाला से ना काटा जाए. उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को अपने विद्यार्थियों से लिए जाने वाले फंड का ब्यौरा देना होगा. जिस में ट्यूशन फीस व अन्य फंड दर्शाना अनिवार्य है.

अभिभावकों को सहूलियत देते हुए प्रारम्भिक शिक्षा उप निदेशक कांगड़ा राजकुमार शर्मा ने कहा कि सभी निजी स्कूलों को हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के आरटीई एक्ट और आदेशों का पालन करना होगा. पाठशालाओं में कार्यरत सभी अध्यापक व गैर शिक्षक स्टाफ को उनके वेतन का भुगतान करना होगा. सभी अभिभावकों को निजी पाठशालाओं में दाखिला करवाने से पहले स्कूल की मान्यता चेक करनी होगी.

कोरोना महामारी के चलते सभी निजी व सरकारी पाठशालाओं में 30 जून तक छुट्टियां दी गई है. छुट्यिों के दौरान सभी अध्यापक अपने अधीन शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों से ऑनलाइन पढाई व अन्य गतिविधियां करवाने के लिए जुड़े हुए हैं. उपनिदेशक ने कहा कि हर घर पाठशाला के तहत 'मेरा विद्यालय-मेरे बच्चे' कार्यक्रम में बीआरसीसी/अध्यापकों के माध्यम से बच्चों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग/व्हाट्स एप/गूगल मीट पर जोड़ने का प्रयत्न करें.

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