ज्वालामुखी: कोरोना महासंकट के कारण प्रदेश के हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए अब राज्य सरकार को नीति निर्धारित करके जरूरी कदम उठाने की तरफ ध्यान देना होगा. यह बात राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने ज्वालामुखी में पत्रकारों के साथ कही.
धवाला ने कहा कि यह निश्चित हो चुका है कि कोरोना के कारण पूरा विश्व आर्थिक मंदी का सामना करेगा. ऐसे में हिमाचल जैसे छोटे प्रदेश को इस संकट से मुकाबला करने के लिए प्रभावी पहल करनी पड़ेगी जिससे ना तो प्रदेश का विकास रुके और ना ही यहां के लोगों के जीवन पर कोई विपरीत असर पड़े. उन्होंने कहा कि वो दावे से कह सकते हैं कि यदि प्रदेश के जंगलों में वर्षों से गल-सड़ रहे और चोरी हो रहे खैर और दियार के पेड़ों को सरकार काटने की मंजूरी दे तो अकेले कांगड़ा के खैर ही हिमाचल के 50 हजार करोड़ के कर्जे की भरपाई कर देंगे.
अतः खैर और दियार हिमाचल की आर्थिकी को स्वाबलम्बी बनाने के लिए तुरूप का पत्ता साबित होंगे. धवाला ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद उन्होंने इस महत्वपूर्ण विषय को कई बार विधानसभा में जोर शोर से उठाया है ताकि सरकार प्रभावी योजना बनाकर इस पर काम करे. धवाला ने कहा कि इन पेड़ों पर कटान की रोक के कारण हजारों करोड़ की यह वन सम्पदा या तो सड़ रही है या फिर लकड़ी माफिया के हाथों चोरी होकर तबाह की जा रही है.
धवाला ने कहा कि कोरोना के महासंकट के कारण प्रदेश सरकार के सामने भी भविष्य में बड़ी चुनैतियां आयेंगी इससे मना नहीं किया जा सकता. विकास को रफ्तार देने के साथ साथ बेरोजगारी को काबू में रखकर आगे बढ़ना अब कोई आसान काम नहीं होगा, इसलिए सरकार समय रहते अपनी आर्थिक क्षमता को बढ़ाने हेतु तेजी से काम करे.