कांगड़ा: पौंग झील की प्रकृति सुंदरता के दीदार की चाह रखने वालों को अब और इंतजार नहीं करना होगा. विभाग द्वारा मंगलवार से पर्यटकों के लिए पौंग झील एक बार फिर से खोल दिया गया है. वहीं, धीरे-धीरे अब हर चीज सामान्य होने लगी है.
पहले 11 महीने से बंद पड़ी कांगड़ा घाटी पर चलने वाले ट्रेनों को फिर से चालू किया गया है और पर्यटकों के लिए महीने से अधिक समय के बाद पौंग झील को भी खोल दिया गया है. इस बात की जानकारी वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ राहुल रुहाने द्वारा दी गई.
पौंग झील को पर्यटकों को घूमने के लिए खोला गया
डीएफओ बताया कि वन्य प्राणी विभाग शिमला से पीसीसीएफ द्वारा इस पौंग झील को पर्यटकों को घूमने के लिए अब फिर से खोल दिया गया है. इसके लिए एक पत्र जारी कर दिया है. गौरतलब है कि बर्ड फ्लू के कारण पिछले 2 महीने से इस झील में पूर्ण रूप से हर गतिविधि पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इस बर्ड फ्लू के कारण करीब 5 हजार से अधिक प्रवासी पक्षी मर गए थे.
फिर सरकार द्वारा पौंग झील में आने जाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था और कोई भी पर्यटक पिछले 2 महीनों से इस पौंग झील में नहीं आ जा रहा था. यहां तक की मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए भी 2 महीने का प्रतिबंध लगा था. अब पर्यटक और हर व्यक्ति इस पौंग झील में मोटर बोट के जरिए घूमने का लुफ्त उठा सकता है.
पौंग बांध का इतिहास
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बांध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है. इसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है. इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है. यह बांध 1975 में बनाया गया था. महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है.