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विदेशी कुत्तों को पालने का बढ़ रहा चलन, स्टेटस सिंबल बन रहे डॉगी - पमेलियन लैब्राडोर

कांगड़ा जिला के हर क्षेत्र के लोग आजकल बड़ी संख्या में कुत्ते पालने लगे हैं. खासकर विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालने का शौक काफी ज्यादा बढ़ गया है.कोरोना काल में तो कुत्ता पालने के लिए लोगों की दिलचस्पी अधिक बढ़ी है. जिसकी वजह से हाई ब्रीड नस्ल के कुत्तों की कीमत में दो गुना बढ़ोत्तरी हुई है.

Pet dogs also become part of common life
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Published : Mar 20, 2021, 7:27 PM IST

धर्मशाला: पालतू कुत्ते पालना आज के समय में एक शौक ही नहीं, बल्कि खुद को पशु प्रेमी बताने का एक माध्यम बन गया है. कांगड़ा जिला के हर क्षेत्र के लोग आजकल बड़ी संख्या में कुत्ते पालने में लगे हैं. खासकर विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालने का शौक काफी ज्यादा बढ़ गया है. अमूमन हर तीन-चार घर छोड़ किसी एक के घर पालतू कुत्ते जरूर मिल जाते हैं. शाम के समय इन कुत्तों को लेकर घूमना लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गया है. आम जिंदगी का हिस्सा बन रहा विदेशी नस्ल का कुत्ता लोगों की दिनचर्या में भी शामिल होकर रह गया है. अमूमन हर घर में अब कुत्ते नजर आते हैं. पहले बड़ी मुश्किल से एक-दो घरों में ही विदेशी नस्ल के कुत्ते मिलते थे.

कोरोना काल में घरों का स्टेटस सिंबल बन रहे कुत्ते

कोरोना काल में तो कुत्ता पालने के लिए लोगों की दिलचस्पी अधिक बढ़ी है. जिसकी वजह से हाई ब्रीड नस्ल के कुत्तों की कीमत में दो गुना बढ़ोत्तरी हुई है. धर्मशाला स्थित पशु विभाग के उपनिदेशक डॉ. संजीव कुमार धीमान के अनुसार नगर निगम धर्मशाला में सर्वे 2019 की रिपोर्ट के अनुसार यहां 620 पालतु कुत्ते पंजिकृत हैं. जबकि अनुमानित जिला कांगड़ा में लगभग 35 हजार के करीब पालतू कुत्ते होंगे, जिनकी लोग पुरी शिद्दत के साथ परवरिश कर रहे हैं. खासतौर से कोरोना के दौर में लॉकडाउन के दौरान जब लोग घरों में रहे तब कुत्ता पालने के प्रति रुझान बढ़ा है. जिसके चलते विदेशी नस्ल के कुत्तों का व्यापार भी तेजी पकड़ गया.

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इन नस्ल के कुत्तों को किया जाता है पसंद

यूं तो लोग ज्यादातर ऐसे कुत्तों को पालना पसंद करते हैं जो दिखने में खतरनाक और ट्रेंड करने में आसान हों. ज्यादातर डॉबरमैन, पमेलियन लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बुलडॉग, माल्टीज, बीगल, गोल्डन रिट्रीवर, जैक रसेल टेरियर, पग आदि नस्ल के कुत्तों को लोग पसंद करते हैं. लोग ज्यादातर ऐसे कुत्तों को पालना पसंद करते हैं, जो इंसानों के साथ आराम से घुलमिल जाएं. ट्रेंड करने में आसान हो और खतरनाक होने के साथ-साथ अपने मालिक के प्रति वफादार भी हों.

5 हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक के कुत्ते उपलब्ध

लोग ज्यादातर एक या दो कुत्ते रखना ही पसंद करते हैं, लेकिन कुछ लोग एक साथ आधा दर्जन विदेशी कुत्ते तक रखते हैं. एक कुत्ते की कीमत 5 हजार रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक है. आसानी से कुत्ते उपलब्ध हो जाते हैं. लोग कुत्तों के व्यवहार को जानने को लेकर कई बार प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं. स्थानीय बाजार के साथ-साथ धर्मशाला, कांगड़ा, पालमपुर, नूरपुर आदि क्षेत्रों से या फिर साथ लगते पठानकोट से भी लोग विदेशी नस्ल के कुत्ते मंगवा रहे हैं.

कुत्ते पालने के शौकीनो को देना पड़ रहा सालाना खर्चा

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा नगर परिषद ने पालतू कुत्तों को पालने के लिए भी लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया है. साथ ही साथ पालतू कुत्ता बिना लाइसेंस के बाहर टहलते हुए नजर आया तो उसके मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसी के तहत नगर परिषद ने पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन करके लाइसेंस जारी करने की कवायद छेड़ी हुई है. नगर परिषद का कहना है कि पालतू कुत्तों के लाइसेंस की 50 रुपये सालाना फीस निर्धरित की है. नगर परिषद के मुताबिक इस पहल से जहां शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद मिल रही है तो वहीं कुत्तों की पहचान करने में भी मदद हो रही है.

ऐसे हो रहा पालतू कुत्तों का पंजीकरण

कुत्ते का पंजीकरण नगर परिषद में कराने के लिए एक फार्म भरना होगा साथ ही कुत्ते की दो फोटो और टीकाकरण का प्रमाण पत्र नगर परिषद कार्यालय में जमा कराना होगा. जिसके बाद ही नगर परिषद की ओर से कुत्ते को पालने का लाइसेंस मुहैया करवाया जाएगा. नगर परिषद के अनुसार इससे कुत्तों के आंकड़े उपलब्ध हो सकेंगे साथ ही रैबिज संबंधी केस पर भी नियंत्रित रखा जा सकेगा.

लोगों की मांग पर नही है सैलून

लोग अपने पालतू कुत्तों के लिए सैलून की सुविधा तो चाहते हैं मगर हिमाचल में अभी तक पालतु जानवरों के लिए ऐसी सुविधा नही है. जिन लोगों ने महंगे कुत्ते पाल रखे हैं उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा वे खुद ही अपने पालतु कुत्तों की बाल काटते हैं. अगर सैलून की सुविधा हो तो उनकी परेशानियां भी कम होंगी.

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