कांगड़ा/ज्वाली: जिला के उपमंडल ज्वाली के अधीन ग्राम पंचायत हरसर इन दिनों सुर्खियों में है. ग्राम पंचायत की ओर से किए गए मनरेगा कार्य भी संदेह के घेरे में हैं. इलाके में कई निर्माणकार्यों को दर्शाने के लिए लगाए गए बोर्डों पर निर्माणकार्य का वर्ष नहीं लिखा गया है, तो कइयों में निर्माणकार्य कहां से कहां तक किया गया है, यह नहीं दर्शाया गया है.
ऐसा ही एक मामला रेलवे लाइन हरसर से गार्डखाना को जोड़ने वाले और रेलवे लाइन से मेन रोड को जोड़ने वाले रास्तों के दर्शाए गए बोर्डों को देखने से सामने आया है. लोगों के घरों को जोड़ने वाले नाले के एक तरफ बोर्ड पर दर्शाया गया है कि 'रास्ता रेलवे लाइन से मेन रोड़ तक' जिसके लिए दो लाख की राशि स्वीकृत हुई जबकि खर्च 1,95,880 रुपए हुए.
जबकि दूसरी तरफ लगाए गए बोर्ड पर 'निर्माण रास्ता गार्डखाना से लेकर' लिखा गया है, लेकिन यह रास्ता कहां तक बना है यह नहीं बताया गया है. इसके लिए भी एक लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई और 96,144 रुपए ही खर्च हुए. यह रास्ता एक साल में ही उखड़ना शुरू हो गया है, जिस पर मात्र बजरी ही बजरी बिखरी दिख रही है.