धर्मशालाःनिजी स्कूल द्वारा वार्षिक फीस जबरन वसूलने को लेकर अभिभावकों ने मोर्चा खोल दिया है. उपायुक्त कार्यालय के बाहर अभिभावकों ने प्रदर्शन किया. अभिभावकों का कहना है कि जब उन्होंने इस मामले में स्कूल प्रबंधन से बात करनी चाही तो स्कूल प्रबंधन की ओर से अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया.
वार्षिक शुल्क जमा करवाने का बनाया जा रहा है दवाब
अभिभावकों ने बताया कि कोरोना के चलते बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई हुई. स्कूल की ओर से मात्रा एक या आधे घंटे ही ऑनलाइन पढ़ाई होती थी. उसकी एवज में अभिभावकों से पूरी ट्यूशन फीस वसूली जा रही है. स्कूल प्रशासन की ओर से फोन कर वार्षिक शुल्क करीब 6, 500 रुपये जमा करवाने का दवाब डाला जा रहा है. अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रबंधन की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर वार्षिक फीस जमा नहीं की गई तो बच्चों को फाइनल पेपर नहीं देने देंगे.
खराब वित्तीय स्थिति से गुजर रहे अभिभावक
अभिभावकों ने बताया कि निजी स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे कुछ बच्चों के माता-पिता ऑटो, टैक्सी चालक हैं या छोटी-मोटी दुकानदारी आदि का काम करते हैं. कोविड के चलते इन सभी कामों पर रोक लग गई थी. जिस कारण उनकी भी स्थिति खराब हो चुकी है. खराब वित्तीय स्थिति के चलते इतनी राशि जमा करवाने में असमर्थ हैं.
क्या कहना है उपायुक्त का
उपायुक्त कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति का कहना था कि स्कूल प्रबंधन से जल्द से जल्द इस मामले पर बात की जाएगी. अभिभावकों की समस्या का प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाएगा. साथ ही उपायुक्त के समक्ष अभिभावकों ने सुझाव भी रखे.
अभिभावकों द्वारा दिए गए सुझाव
- सालाना फीस नहीं देंगे या ऐसी कोई राशि तय की जाए जो अभिभावक देने में समर्थ रहें.
- सालाना फीस पर जो भी सहमति होगी वह देने का प्रावधान रखते हैं लेकिन अगले वर्ष की सालाना फीस के लिए जून तक बाध्य ना किया जाए.
- अगले 3 साल तक स्कूल प्रबंधन किसी भी कक्षा की फीस या फंड नहीं बढ़ाएंगे.
- पुस्तकों को लेने के लिए स्कूल प्रबंधन बाध्य ना करें या तो 40% छूट दें.
- सालाना वर्ष में बच्चों को पढ़ाने के लिए जिस ऐप का यूज किया जा रहा है, उसके पैसे बार-बार लेने के लिए बाध्य ना करें.
- इसके अलावा अगर प्रबंधन कमेटी किसी भी विषय पर सहमति नहीं रखती है, तो अगली बार सभी अभिभावक अपने बच्चों को किसी अन्य स्कूल में डाल सकेंगे.
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