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अनाथ मोहित और महेश को अभी तक नहीं मिली मदद, प्रशासन ने दिया ये तर्क

घुरकाल ग्राम पंचायत के महेश और मोहित के सिर से बचपन में ही माता पिता का साया सिर से उठ गया. अब हालात ऐसे हैं कि न तो सिर ढकने के लिए मकान है और न ही कोई परवरिश करने वाला. इसके बावजूद ये बच्चे अभी तक कानूनी रूप से अनाथ घोषित नहीं हुए हैं, जिसके कारण इन बच्चों को मिलने वाली सरकारी मदद नहीं पा रही है. वहीं, अब समाजसेवी महेश और मोहित को मदद न मिलने पर इन बच्चों के मामले को लेकर कोर्ट में जाने की बात कह रहे हैं.

Orphan children Mohit and Mahesh
मोहित और महेश

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Published : Aug 24, 2020, 7:43 PM IST

ज्वालामुखी/कांगड़ा:जिला कांगड़ा के घुरकाल ग्राम पंचायत के महेश और मोहित के सिर से बचपन में ही माता पिता का साया सिर से उठ गया. अब हालात ऐसे हैं कि न तो सिर ढकने के लिए मकान है और न ही कोई परवरिश करने वाला. इसके बावजूद ये बच्चे अभी तक कानूनी रूप से अनाथ घोषित नहीं हुए हैं, जिसके कारण इन बच्चों को मिलने वाली सरकारी मदद नहीं पा रही है. वहीं, अब समाजसेवी महेश और मोहित को मदद न मिलने पर इन बच्चों के मामले को लेकर कोर्ट में जाने की बात कह रहे हैं.

पिता की मौत के तीन साल बीतने के बावजूद भी ये बच्चे सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर काट चुके हैं. इसके बावजूद इन बच्चों को पिता की डीएनए रिपोर्ट नहीं मिल पाई है. वहीं, बच्चों के नाबालिग होने के बावजूद भी बच्चों के 20 हजार इनकम के प्रमाण पत्र बनाए गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

इस मामले के सामने आने के बाद भी प्रशासन ने महज आश्वासन दिया है. अभी तक जमीनी स्तर पर इनकी कोई मदद नहीं की गई है. अभी बच्चों की मदद के लिए पेंशन की बात की जा रही है. वहीं, इन दोनों भाइयों में से बड़ा भाई मोहित कुछ महीने में 18 साल का हो जाएगा. ऐसे में इस पेंशन का लाभ भी इन बच्चों को नहीं मिल पाएगा.

दरअसल, बच्चों के पिता 26-6-2017 को घर के नजदीक बहती व्यास नदी में नहाते वक्त डूब गए थे. 8 जुलाई 2017 को उपमंडल ज्वाली के फतेहपुर स्थित कारू टापू से उसकी लाश वेहद गली सड़ी अवस्था में मिली थी. पोस्टमार्टम के बाद बच्चों का डीएनए मैच करने के मकसद से सैंपल लिए गए थे, लेकिन आज तक डीएनए रिपोर्ट नहीं मिल पाई है, जिसके चलते वे अन्य किसी सरकारी सहायता का पात्र नहीं बन पाए.

इन दोनों को 2017 से ही सरकारी मदद मिलना शुरू हो सकती थी, लेकिन बच्चों के कानूनी तौर पर अनाथ घोषित न होने के चलते इन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रही है. बच्चों को दुर्घटना में जान गवां बैठे पिता के सरकारी सहायता के रूप में मिलने वाले 4 लाख भी नहीं मिले.

वहीं, इन बच्चों की माता का 2006 में देहांत हो गया था. आजतक उनका मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है. इसके कारण भी ये बच्चे अन्य सरकारी योजनाओं का हकदार भी बन पाए. दोनों बच्चे पिछले तीन साल से व्यवस्थाओं से दो चार होने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाने के कारण गरीबी व लाचारी का दंश सहने को मजबूर हैं.

मामले को लेकर घुरकाल पंचायत के सचिव कमल कुमार ने कहा कि इन दोनों बच्चों की मां आज भी दस्तावेजों में जीवित हैं. मामला 2006 का है. कहां गलती हुई है कहा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि फिलहाल में इस गलती को सुधारने में लगे हैं. इस विषय में जल्दी ही बच्चों की मां का मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया जाएगा.

फतेहपुर के थाना प्रभारी सुरेश शर्मा ने कहा कि मामला ध्यान में आया है. इस संबंध में डीएसपी ज्वालामुखी को जानकारी भेजी गई है. अभी तक हमारे पास स्टेट फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री जुन्गा से मृतक की डीएनए रिपोर्ट नहीं आयी है. रिपोर्ट आने पर परिवार को सूचित किया जाएगा.

स्टेट फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री जुन्गा के निदेशक अरुण शर्मा ने कहा कि संबंधित मामला मेरे ध्यान में नहीं था. डीएनए रिपोर्ट में हुई देरी को लेकर जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह तक रिपोर्ट संबंधित थाना को भेज दी जाएगी.

डीएसपी ज्वालामुखी तिलिक राज शांडिल ने कहा कि बच्चों की मदद के लिए उनके पिता की डीएनए रिपोर्ट लेने के लिए प्रयासरत हैं. फतेहपुर पुलिस थाना से मृतक की पूरी जानकारी मंगवा ली गई है. एक सप्ताह में रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है.

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