हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

'पूर्वोत्तर राज्यों में दयनीय है मीडिया की स्थिति, 30 साल में 31 पत्रकारों को उतारा गया मौत के घाट' - हिंदी पत्रकारिता

भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना गया है, लेकिन देश के पूर्वोत्तर में मीडिया की स्थिति बेहद दयनीय नहीं है. हाल ही में पत्रकारिता दिवस पर आए आंकड़ों के अनुसार बीते 30 साल में पूर्वोत्तर के 31 पत्रकारों का बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी गई. जिसमें से 24 आसाम, 6 मणिपुर और 1 त्रिपुरा का पत्रकार शामिल हैं.

Central University Dharamshala
राष्ट्रीय सेमिनार में पहुंचे असम के वरिष्ठ पत्रकार.

By

Published : Nov 28, 2019, 11:54 PM IST

धर्मशाला: सेंट्रल युनिवर्सिटी धर्मशाला में जन संचार विभाग की ओर से करवाए गए राष्ट्रीय सेमिनार में पहुंचे असम के वरिष्ठ पत्रकार दलीप कुमार ने ये खुलासा कर सबको चौंका दिया है. दलीप कुमार ने बताया कि पूर्व में नागालैंड सरकार ने एनएसीएन आंतकी संगठन को टैक्स भुगतान किया था, जिसपर बाकायदा अदालतों द्वारा संज्ञान लिया गया था और ये मामला आज भी विचाराधीन है. इसके साथ मणिपुर में कर्मचारियों के वेतन से 15 फीसदी राशि काटकर उग्रवादी संगठनों को देने की बात भी कही.

वीडियो.

असम के वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि पूर्वोत्तर में आज भी पत्रकार और पत्रकारिता सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक इन इलाकों में हिंदी पत्रकारिता को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा, तब तक स्थिति यही बनी रहेगी, बशर्ते उन्होंने मुश्किल हालातों में भी हिंदी पत्रकारिता को ही चुना और वहां के हालात को देश-दुनिया में पहुंचाने की कोशिश की.

दलीप ने कहा कि आज स्थिति बदल रही है और धीरे-धीरे अलगाववादी ताकतों की कमर टूट रही है, क्योकि इन क्षेत्रों में धीरे-धीरे हिंदी फलने-फूलने लगी है. अपने क्षेत्र में मुश्किल हालातों में भी हिंदी पत्रकारिता करने और युवाओं को इसके प्रति जागरूक करने के लिए वो आज स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर भी निजी तौर पर प्रयास कर रहे हैं. यही वजह है कि आज उन्हें सेंट्रल युनिवर्सिटी ने कोर्ट मेंबर बनाया है और सेंट्रल युनिवर्सिटी में हुए राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में युवाओं को हिंदी पत्रकारिता के लिए प्रेरित और जागरूक करने के लिए यहां बुलाया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details