धर्मशाला: नॉन प्रॉफिट एसेट (एनपीए) से निपटने के लिए केसीसी बैंक प्रबंधन ने डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई शुरू कर दी है. बैंक अब रिकवरी, लोनिंग और डिपोजिट प्रॉसेस में सख्ती बरत रहा है. एनपीए ग्लोबल प्रॉब्लम हो, लेकिन बैंक ने 2 फीसदी एनपीए कम किया है.
बैंक को उम्मीद है कि आगामी दो माह में एनपीए में और कमी आएगी, क्योंकि बैंक प्रबंधन ने डिफाल्टर्स पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है. बैंक के चेयरमैन डॉ. राजीव भारद्वाज ने कहा कि एनपीए ग्लोबल प्रॉब्लम है, ये बात केसीसी बैंक भी अच्छे से जानता है. इसके लिए रिकवरी और लोनिंग और डिपोजिट प्रॉसेस में सख्ती करते हुए अनुशासन में रहकर काम करने का प्रयास किया है.
इस वर्ष एनपीए में 2 फीसदी की कमी आई है, बैंक का एनपीए जो कि पहले 19 फीसदी था, अब 17 फीसदी रह गए है. 31 मार्च तक इसमें और कमी आने वाली है. बैंक के डिफॉल्टर जो ऋण नहीं लौटा रहे थे, उन पर कार्रवाई शुरू कर दी है, ऐसे में उम्मीद है कि एनपीए की प्रतिशतता में और कमी आने वाली है.
चेयरमैन ने बताया कि एमडी 5 लाख के खर्च के लिए अधिकृत हैं, जबकि इससे अधिक खर्च के लिए बीओडी में रखना आवश्यक है. इसी के मद्देनजर दो माह में बीओडी की बैठक करनी पड़ती है और बुधवार को बीओडी का आयोजन किया गया है.
डॉ. राजीव भारद्वाज ने कहा कि बैंक फायनांसियल संस्थान है, इसके लिए ऋण वितरण आवश्यक है, जिस पर फोकस किया गया है. पिछले चालू वित्त वर्ष 50.71 करोड़ के ऋण वितरित किए गए थे, जबकि चालू वित्त वर्ष में 256.75 करोड़ के ऋण वितरित किए हैं.
बैंक का डिपोजिट पिछले वर्ष 535.73 करोड़ था, जिसमें इजाफा होने के बाद अब यह 616.48 करोड़ हो गया है. डॉ. राजीव भरद्वाज ने बताया कि बैंक सुविधाओं के विस्तार के लिए नए एटीएम खोलने का निर्णय लिया था, जिसमें नूरपुर के भडवार और चौगान में, ऊना के चिंतपूर्णी व बडूही, ज्वालामुखी में अधवाणी और धर्मशाला में टंग और जसवां परागपुर के संसारपुर टैरस में एटीएम खोलने का निर्णय लिया है, जिनका कार्य शुरू हो गया है और चालू वित्त वर्ष में ही इन्हें शुरू कर दिया जाएगा.
केसीसी बैंक में लोनिंग के मामलों में अनियमितताओं की जांच विजिलेंस द्वारा की जा रही है, ऐसे में बैंक चेयरमैन ने एमडी और अधिकारियों को अन्य मामलों को खोदकर निकालने के निर्देश जारी किए हैं. केसीसी बैंक को अक्टूबर माह तक निर्वाचित निदेशक मंडल मिल सकता है.
राजीव भारद्वाज ने कहा कि बैंक को दो भागों में बांटने का मामला अभी चर्चा में है. इस पर विचार किया जा रहा है, जब भी ऐसा होगा तो सबके सामने ही होगा. बैंक के एमडी के रूप में बैंक प्रोफेशनल की नियुक्ति पर विचार किया जा सकता है. वर्तमान व्यवस्था के तहत आईएएस या एचएएस ही एमडी तैनात होते हैं. बैंक प्रोफेशनल की एमडी की तौर पर नियुक्ति के सुझाव को मंत्री के समक्ष रखा जाएगा. बैंक की लोनिंग में हुई अनियमितताओं की विजिलेंस जांच कर रही है.
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