परमार नगर में 'जोशीमठ' जैसे हालात! धर्मशाला: उतराखंड में पिछले साल सैंकड़ों घरों में दरारें आने और भूधंसाव होने से जिस तरह जोशीमठ के अस्तित्व खतरा मंडराने लगा था, ठीक उसी तरह हिमाचल में कांगड़ा जिले के परमार नगर गांव में इन दिनों कुछ ऐसे ही हालात हैं. यहां रिहायशी मकानों में दरारें बढ़ती ही जा रही है. साथ ही यहां भूधंसाव भी लगातार देखने को मिल रहा है. यहां लैंडस्लाइड और घरों में आई दरारों से 12 मकान पलक झपकते ही जमींदोज हो गए हैं. ऐसे में यहां ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर हैं. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. साथ ही सरकार से कई और जमीन देने की मांग की है. वहीं, प्रशासन ने प्रभावितों को राहत शिविरों में शिफ्ट करवाया है.
परमार नगर में जोशीमठ जैसे हालात:कांगड़ा जिले के सुलह विधानसभा के परमार नगर गांव में इन दिनों जोशीमठ जैसे हालात हैं. यहां करीब 12 मकान दरारें और लैंडस्लाइड की जद में आने से जमींदोज हो चुके हैं. वहीं, इसके साथ लगते अन्य मकानों में भी दरारें बढ़ती जा रही है. जमीन पर भी करीब 3 किलोमीटर तक गहरी दरारें पड़ चुकीं हैं. जिससे कई मकानों और खेतों पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है. परमार नगर गांव में कई घरों को प्रशासन ने एहतियातन खाली करवा दिया है. भूस्खलन से बेघर हुए ग्रामीणों के लिए खाने पीने व रहने की व्यवस्था प्रशासन ने राहत शिविर में की है. राहत शिविरों में ग्रामीणों के लिए टेंट लगाए गए हैं. साथ ही प्रभावितों को राशन मुहैया करवाया गया है. एसडीएम धीरा सलीम आजम ने प्रभावितों को 10-10 हजार रुपये राहत राशि प्रदान की.
देखते ही देखत घर हुए मलबे में तब्दील पलक झपकते ही 12 मकान जमींदोज: हिमाचल में लगातार हो रही बारिश से सुलह विधानसभा के गांव परमार नगर में भूस्खलन की चपेट में 12 मकान आ गए. स्थानीय निवासियों ने बताया पिछले दिनों जब घरों के नीचे जमीन धंसने लगी, जिससे दीवारों में दरारें आने शुरू हो गए. खतरे को भांपते ही सब लोग मकानों से बाहर भागने लगे. देखते ही देखते अचानक घरों के दरवाजे और खिड़कियां खुद ही बंद हो गए, जिससे उन्हे घर के अंदर रखा सामान निकालने का भी मौका नहीं मिला. पलक झपकते ही आसपास के करीब 12 मकान जमींदोज हो गए.
परमार नगर गांव में 12 मकान ध्वस्त जमापूंजी से बना आशियाना हुआ मटियामेट: स्थानीय रवि कुमार ने बताया उन्होने अपने मकान में सारी जमापूंजी खर्च कर दी थी, लेकिन अब उनके पास कुछ नहीं बचा है. रवि कुमार ने करीब 15 दिन पहले ही अपने नये मकान का लेंटर डाला था, जो अब भूस्खलन की चपेट मे आ चुका है. इसी तरह अंजना देवी, सुनील दत्त, रमेश चंद, प्रीतम चंद, मेहर सिंह, शमशेर सिंह, महेंद्र सिंह, शिखा कुमारी, विक्रम चंद, सुदेश कुमारी और देवेंद्र सिंह के भी मकान पूरी तरह भूस्खलन की चपेट में आ गए.
घरों से अपना सामान निकालते लोग कई घरों और खेतों में भी आई दरारें: अपनी जिंदगी की सारी जमा पूंजी मकानों पर खर्च कर दी, अब न तो मकान बचे ना खेती करने के लिए जमीन बची. आगे का गुजारा कैसे हो यही चिंता अब ग्रामीणों को सता रही है. भूस्खलन से इलाके की खेती युक्त जमीन भी चपेट मे आ गयी है. ग्रामीणो ने सरकार से दूसरी जगह कहीं सुरक्षित जमीन देने और मकानों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई है. वही, मौके पर एसडीएम धीरा सलीम आजम, तहसीलदार धीरा भरत चंद्र सिंह, नायब तहसीलदार आशीष ठाकुर, कृषि विकास बैंक के चेयरमेन संजय चौहान, कानूनगो भुट्टो राम और पटवारी अनिल नड़ड़ा ने निरीक्षण किया.
ग्रामीणों को राहत शिविर में ठहराया गया प्रभावितों को राहत शिविर में किया गया शिफ्ट: एसडीएम धीरा सलीम आजम ने कहा प्रभावितों को राहत शिविर में शिफ्ट किया गया है. इसके साथ ही सरकार द्वारा प्रभावितों को शीघ्र ही 10 हजार रुपये राहत राशि प्रदान की गयी है. इसके अलावा ग्रामीणों को अन्य सहायता उपलब्ध करवाने के लिए नुकसान का जायजा लिया जा रहा है. वहीं, कृषि विकास बैंक के चेयरमैन संजय सिंह चौहान ने कहा जिनका भी नुकसान हुआ है, उन्हे प्रदेश सरकार से हर संभव सहायता मुहैया कारवाई जाएगी. साथ ही जिन घरों को खाली करवाया गया है, उन्हें केसे बचाया जाए, इसके लिए भी सरकार प्रयासरत है.
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