ज्वालामुखी: जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी के पूर्व विधायक संजय रत्न द्वारा भाजपा कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के बयान पर मन्दिर ट्रस्ट ज्वालाजी की सरकार द्वारा नामित 9 गैर सरकारी सदस्यों ने कड़ा प्रहार करते हुए पूर्व विधायक संजय रत्न को नसीहत दी है कि झूठे और आधारहीन बयान देकर जनता को भृमित करने का प्रयास न करें.
उन्होंने कहा है कि पूर्व विधायक अपने कार्यकाल व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ज्वालामुखी में हुई अनियमितताओं के बारे में अपना पक्ष रखें. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व विधायक ने अपने चेहते लोगों को गैर कानूनी ढंग से फायदा देने के लिए न केवल उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया बल्कि पूरे 5 साल वे ऐसे लोगों का पोषण करते रहे जिन्होंने भ्रष्टाचार के सिवा कुछ नहीं किया.
मन्दिर ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा कि विधायक ज्वालामुखी की जनता समेत पूरे प्रदेश को बताए कि किस तरह उन्होंने मन्दिर के नियमों और संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए गैर हिन्दू परिवारों से सबंधित लोगों को ज्वालामुखी मन्दिर में नौकरी पर लगाया. न्यास के सदस्यों ने कहा कि हिन्दू एक्ट 1984 के तहत टैम्पल ट्रस्ट अधिनियम के तहत गैर हिन्दू कर्मचारी व अधिकारियों को मंदिरों के संचालन व कार्यों के लिए नही रखा जा सकता, बावजूद इसके अपनी राजनीति चमकाने की खातिर पूर्व विधायक ने सभी नियमों और कायदों को तिलांजलि देते हुए सरकारी नियमों की अवहेलना की.
न्यास सदस्यों ने कहा कि भाजपा कार्यकाल में भ्रष्टाचार की बात करने वाले संजय रत्न जबाब दें कि संस्कृत कॉलेज ज्वालामुखी के बाहर दी गई 4 दीवारी उनके संरक्षण में पल रहे ठेकेदार ने दी थी या नहीं और किन कारणों से लाखों रुपये की ये दीवार 2 साल के भीतर ही धराशाही हो गई थी. न्यास सदस्यों ने कहा कि इन लाखों रुपयों की बर्बादी को पूर्व विधायक भ्रष्टाचार कहेंगे या सदाचार. मन्दिर न्यास सदस्यों ने आरोप जड़ा कि अपने कार्यकाल के दौरान संजय रत्न ने मन्दिर के पैसे का जमकर दुरपयोग किया. फलस्वरूप ज्वालामुखी डिग्री कॉलेज के सरकारीकरण के बाद भी कॉलेज के विज्ञान भवन के लिए 6 करोड़ रुपय की धनराशि मन्दिर से लगाई गई.
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विधायक जबाब दें कि जब कॉलेज का सरकारीकरण हो ही गया था तो किस मंशा के साथ मन्दिर के खजाने को लूटा गया. उन्होंने आरोप जड़ा की पूर्व विधायक ज्वालामुखी क्षेत्र की जनता को बताए की उनके घर को जाने वाली एक सड़क जिस पर लाखों रुपए खर्च किए गए और 2 महीने बाद ही पूरी की पूरी सड़क उखड़ जाने के बाद उस पर दोबारा लाखों रुपए का खर्च करके बनाया गया. क्या एक नई सड़क जो 2 महीने में ही उखड़ जाए वो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आती है या नहीं.