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महाशय धर्मपाल गुलाटी की सफलता की कहानी, MDH के ऐड बनाने वाले परमेश चड्ढा की जुबानी - हिमाचल न्यूज

मसाला किंग महाशय धर्मपाल गुलाटी का आज निधन हो गया. उन्होंने 98 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. र्मशाला शहर के कोतवाली बाजार के रहने वाले परमेश चड्ढा का भी उनके साथ एक गहरा नाता है. महाशय के निधन के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में परमेश चढ्ढा ने महाशय धर्मपाल गुलाटी के जीवन से जुड़ी कुछ बातों का जिक्र किया.

interview with Parmesh Chadha
interview with Parmesh Chadha

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Published : Dec 3, 2020, 9:28 PM IST

धर्मशाला: देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले एमडीएच मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का आज निधन हो गया. उन्होंने 98 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. उनकी जिंदगी की यादों का किस्सा धर्मशाला शहर से भी जुड़ा हुआ है.

महाशय धर्मपाल गुलाटी का धर्मशाला शहर में ससुराल भी है तो वहीं, धर्मशाला शहर के कोतवाली बाजार के रहने वाले परमेश चड्ढा का भी उनके साथ एक गहरा नाता है. महाशय के निधन के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में परमेश चड्ढा ने महाशय धर्मपाल गुलाटी के जीवन से जुड़ी कुछ बातों का जिक्र किया.

परमेश चड्ढा ने कहा कि जब 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था तो उस समय धर्मशाला पर भी तीन बम गिराए थे. उसके बाद मैंने एक फिल्म बनाने का सोचा था, जोकि बच्चों के ऊपर थी. इस फिल्म के लिए मुझे एक स्पॉन्सर चाहिए था, जिसके लिए मैंने महाशय धर्मपाल जी को पत्र लिखा था, लेकिन इस पत्र का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था.

वीडियो.

इसके बाद जब वे धर्मशाला में अपने रिश्तेदार के यहां आए थे तो मेरी उनसे मुलाकात हुई तो उनसे अनुरोध किया कि मेरे द्वारा बनाई गई फिल्म को किसी टीवी पर चलवा दें, जिसके बाद उन्होंने 10 मिनट के लिए फिल्म देखी और उसके बाद उनसे नाता जुड़ता गया.

एमडीएच के लिए बनाए एड

परमेश चड्ढा ने बताया कि मेरी फिल्म देखने के बाद उन्होंने मुझसे एमडीएच के लिए एड बनाने के लिए पूछा. इसके बाद मैंने उनके ब्रांड के लिए बहुत एड बनाने शुरू किए. अब तक मैंने उनके लिए 30 से 35 एड बनाए, जिसमें महाशय धर्मपाल गुलाटी जी द्वारा भी रोल किया गया है. इस तरह से उनके साथ एक पारिवारिक रिश्ता जुड़ता गया.

ये था महाशय धर्मपाल गुलाटी की सफलता का राज

चड्ढा बताते हैं कि महाशय धर्मपाल जी का स्वभाव एक अमीर शख्स का नहीं बल्कि एक आम शख्स का होता था जिनमें कोई घमंड नहीं था. वे हर किसी की दिल खोल कर मदद करते थे. एक व्यापारी के नाते धर्मपाल जी काफी कुशल थे.

उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये का कारोबार होने के बावजूद वे हर जगह खुद मौजूद होकर कार्य करते थे. उनके अनुभव का कोई सानी नहीं था. महाशय धर्मपाल जी खुद को हमेशा युवा मानते थे. उनका निधन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है. उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता.

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