धर्मशाला:हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक होगा. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में पालमपुर का अहम स्थान होगा. भाजपा ने पालमपुर के रोटरी भवन में 34 साल पहले जून 1989 में राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पारित किया था. यहां विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ राष्ट्रीय भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई थी. यह बैठक तीन दिन 9 से 11 जून तक चली थी. जब पालमपुर की बैठक में कार्यसमिति में प्रस्ताव आया तो इस पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी. उस वक्त बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी थे. उनकी अध्यक्षता में सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और फिर सभी की सहमति से यह प्रस्ताव पारित किया गया. बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया और शांता कुमार के अलावा पार्टी के कई बड़े नेता मौजूद थे.
पालमपुर में हुई इस बैठक की व्यवस्था की जिम्मेवारी उस वक्त शांता कुमार को ही दी गई थी. बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया समेत अनेक भाजपा नेताओं ने शिरकत की थी. इसी साल दिसंबर में हुए आम चुनाव में भाजपा ने राम मंदिर के निर्माण की बात अपने चुनावी घोषणापत्र में पहली बार कही थी. इसका ही परिणाम था कि साल 1984 में दो सीट जीतने वाली भाजपा ने साल 1989 के चुनाव में 85 सीटें जीत लीं. ये भी गौर करने वाली बात है कि उस वक्त बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति अब की तुलना में बहुत संतुलित और छोटी हुआ करती थी.
पालमपुर में बैठक में हिस्सा लेने पहुंचीं विजयाराजे सिंधिया शांता कुमार के घर टेलीविजन पर उस समय चले महाभारत सीरियल को देखने पहुंच गई गई थीं. इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी थी. शांता कुमार ने कहा कि उस समय अपने घर पर विजयाराजे सिंधिया को अचानक देखकर वह भी हैरान हो गए थे. विजयाराजे महाभारत सीरियल को देखने से कभी नहीं चूकती थीं.
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि कार्यसमिति की बैठक के दौरान कई तरह के व्यंजनों के बीच नेताओं के लिए कांगड़ी धाम का भी आयोजन किया गया. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को पहाड़ी व्यंजनों के स्वाद के साथ-साथ पहाड़ की संस्कृति से रुबरु करवाने के लिए अपने घर पर ही तमाम व्यवस्थाएं की गईं थी, इसके लिए बकायदा पेड़ के पत्तों से बनाई गई विशेष पतलों का भी प्रावधान किया गया और नेताओं ने जमीन पर बैठ कर ही कांगड़ी धाम का लुत्फ उठाया. बाद में शांता ने शिमला के पद यात्रा भी की थी और पंद्रह दिन बाद शिमला पहुंचे थे.
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के तुरंत बाद हुए घटनाक्रम की गाज तत्कालीन भाजपा की सरकारों पर गिरनी शुरू हो गई थी. शांता कुमार की अगुवाई में गठित भाजपा की सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और 15 दिसंबर 1992 को भाजपा सरकार को हटा दिया गया. पालमपुर में आयोजित बैठक में अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प भाजपा ने लिया था. इसके बाद ही कारसेवकों ने अयोध्या में कारसेवा शुरू कर दी थी. लिहाजा केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस की सरकार ने हिमाचल में शांता कुमार, राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत, गुजरात में केशू भाई पटेल, मध्य प्रदेश में सुंदर लाल पटवा और यूपी में कल्याण सिंह की भाजपा सरकारों को गिरा दिया था.