पालमपुर: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिख कर 1992 में बीजेपी सरकार के लिए फैसले को अब पूरा करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि वे जब वह मुख्यमंत्री थे तो डलहौजी का नाम बदलने का अध्यादेश लाया गया था. उसके बाद कांग्रेस ने उसे रद्द कर दिया.
तीन महान पुरुषों की याद से जुड़ा है डलहौजी
पूर्व सीएम शांता कुमार ने लिखा कि डलहौजी तीन महान पुरुषों की याद से जुड़ा है. प्रसिद्ध साहित्यकार नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर डलहौजी आए थे और अपनी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि का कुछ भाग लिखा था. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस डलहौजी आए. कुछ समय रहे और उन्होंने विदेश जाकर आजाद हिन्द फौज बनाने के क्रांतिकारी विचार का यहीं पर आत्ममंथन करके फैसला किया था. शहीद भक्त सिंह के चाचा प्रसिद्ध क्रान्तिकारी अजीत सिंह डलहौजी रहे और यहीं पर उनका देहांत हुआ. उन्होंने कहा कि इन तीनों महान पुरुषों के स्मारक डलहौजी में बनें. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जिस मकान में रहे सरकार उसका अधिग्रहण करके एक भव्य स्मारक बनाएं.
महापुरुषों की स्मारक बनाने की मांग
शांता कुमार ने कहा कि डलहौजी आज केवल एक पर्वतीय पर्यटन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां तीन महापुरुषों का स्मारक बनने के बाद यह स्थान भारत भर में एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय तीर्थ बन जाएगा. शांता कुमार ने कहा कि 1942 का कांग्रेस का आंदोलन आजादी की लड़ाई का अंतिम आंदोलन था. 1942 से 1947 तक पांच वर्षों में कोई आंदोलन नहीं हुआ, लेकिन उसी समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई, संघर्ष शुरू किया और अंडमान की धरती पर जाकर तिरंगा लहराया.
आजाद हिंद फौज में भारतीय सैनिक थे. इसलिए पहली बार भारत की सेना में आजादी के लिए विद्रोह फूटा. यही कारण था कि 1947 में ब्रिटेन की संसद में भारत को आजाद करने के अधिनियम पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, 'जिस सेना के सहारे हमने आज तक भारत को गुलाम रखा उसी आजाद हिंद फौज के कारण वह सेवा अब हमारी वफादार नहीं रही. इसलिए हमें भारत को आजाद करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस सब कारणों से डलहौजी का महत्व और भी बढ़ जाता है. उन्होंने आग्रह किया कि डलहौजी का नाम बदल कर तीन स्मारक बना इसे राष्ट्रीय तीर्थस्थल बनाया जाए.
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