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नाजुक मोड़ पर पहुंचा किसान आंदोलन, देश को सावधान रहने की जरूरत: शांता कुमार - palampur latest news

वरिष्ठ नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि किसान आन्दोलन का अगला दौर नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है. आंदोलन का नेतृत्व खेत में काम करने वाले किसान के हाथ में नहीं है. देश को सावधान होने की जरूरत है.

Shanta Kumar  Farmers protest
शांता कुमार

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Published : Dec 12, 2020, 10:25 PM IST

पालमपुरः भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि लंबी बातचीत, मंत्रियों और प्रधानमंत्री के सब प्रकार के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन तेज होता जा रहा है. आन्दोलन का अगला दौर नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है.

शांता कुमार ने कहा कि सरकार और किसान नेताओं से विशेष आग्रह किया है कि बहुत ज्यादा सावधानी रखी जाए. कुछ गलत तत्व आंदोलन में शमिल हो गए हैं. कुछ संदिग्ध एनजीओ परोक्ष रूप से करोड़ों रूपयों की सहायता कर रहे हैं.

किसान के हाथ में नहीं आंदोलन

शांता कुमार ने कहा कि आंदोलन का नेतृत्व खेत में काम करने वाले किसान के हाथ में नहीं है. सभी नेता निहित स्वार्थों के कारण आंदोलन को हवा दे रहे हैं. मुख्य रूप से आंदोलन पंजाब के नेताओं द्वारा चलाया जा रहा है.

पंजाब में अनाज की पैदावार भी बहुत ज्यादा होती है और खाद्य निगम इतना अधिक अनाज खरीदती है कि उसके टैक्स और कमिशन का प्रतिवर्ष पांच हजार करोड़ रूपये से अधिक धन बनता है. नए कानून से किसान अपनी उपज कहीं और भी बेच सकेगा. यह आय कम हो जाएगी. यही कारण है कि पंजाब के बिचौलिए और आढ़ती करोड़ों रूपये के कम्बल, रजाईयां और अनाज धरने पर बैठे लोगों को दे रहे हैं.

देश को सावधान होने की जरूरत

शांता कुमार ने कहा कि मीडिया खबरों के अनुसार एक अंतराष्ट्रीय एनजीओ एक बड़ा पंडाल लगा कर करोड़ों रूपये का सामान दे रहा है. उसके बड़े तंबू पर जिस नेता की फोटो है वह आतंकवाद के समय एक हवाई जहाज के अपहरण में दोषी था, लेकिन पकड़ा नहीं गया. विदेश में रह कर देश विरोधी गतिविधियां कर रहा है. यदि ऐसे समाचार सच हैं तो देश को सावधान होने की जरूरत है.

शांता कुमार ने कहा कि कुछ दिन पहले ही शाहीन बाग में 100 दिन धरना चला था. फिर एक नाजुक दौर आया. जिसके बाद दंगे करवाए गए थे और 50 बेगुनाह लोगों की हत्या हो गई थी. किसान आन्दोलन भी अब धीरे-धीरे उसी आंदोलन का रूप लेता जा रहा है.

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