कांगड़ा: उत्तर भारत में आज भी ऐसे कई स्थान हैं जो महाभारत काल से जुडे़ हुए हैं. उन्हीं जगहों में से एक देवभूमि की वो पहाड़ियां भी हैं, जहां पांडवों ने अपने वनवास का अधिकतर समय बिताया था. प्रदेश के जिला मंडी, शिमला, सोलन, कांगड़ा, ऊना, सिरमौर और कुल्लू की वादियों में पांडवों ने कई साल गुजारे थे. जिनके साक्ष्य आज भी मौजूद हैं.
ई़टीवी भारत आज आपको कुछ ऐसे ही स्थानों से रूबरू कराने जा रहा है जहां पांडवों ने महाभारत के युद्ध से पहले समय व्यतीत किया था. तो चलिए आपको सबसे पहले लिए चलते हैं जिला सोलन के करोल में जहां मौजूद रहस्यमयी गुफा आज भी कई राज समेटे हुए हैं. मान्यता है कि भगवान शिव और पांडवों ने यहां तपस्या की थी.
पांडव गुफा के नाम से मशहूर इस गुफा की लम्बाई आज तक कोई नहीं जान पाया है. कहा जाता है कि गुफा के अंदर कई अजीबोंगरीब चीजें हैं, जिन्हें देखने के बाद किसी की अंदर जाने की हिम्मत नहीं होती. गुफा के अदर कई शिवलिंग बने हुए हैं. यह गुफा भगवान शिव से जुड़े अनेकों रहस्य समेटे हुए हैं. सावन के महीने में स्थानीय लोग यहां भगवान शिव की पूजा करते हैं.
- मसरूर मंदिर
मसरूर मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मौजूद एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है. 15 शिखर मंदिरों वाली यह संरचना गुफाओं के अंदर स्थित है. मान्यता है कि ये मंदिर पांडवों ने अपने वनवास के दौरान पहाड़ को तरास कर बनाया था. इस मंदिर की शिल्प कला वैज्ञानिकों के लिए आज भी किसी अचंभे से कम नहीं है.
- बाथू मंदिर