धर्मशाला: कोरोना के इस दौर में रेहड़ी फड़ी वालों का कारोबार भी ठप हो गया है. लॉकडाउन में पहले इनका कारोबार बंद हो गया और अब अनलॉक में भी ग्राहक कम है. अब छोटी से आमदनी में सिर्फ इनका गुजर बसर चल रहा है. धर्मशाला में अनलॉक के बाद जब रेहड़ी फेड़ी का कारोबार शुरू हुआ तो सबसे ज्यादा जरूरी तमाम नियमों का पालन करना था. दुकानदारों ने इसका पालन भी शुरू किया. सबसे ज्यादा जरूरी था, मास्क, ग्लब्ज और सेन्टाइजर का इस्तेमाल किया जाए. साथ ही सोशल डिस्टसिंग का ग्राहकों के साथ पालन किया जाए जिससे दुकानदार अपना भी रहे हैं.
अनलॉक के साथ-साथ बाजारों में रौनक लौट तो रही है, लेकिन कोरोना संक्रमण का डर अब भी लोगों को रेहड़ी-खोमचो से दूर ही रखे हुए है. होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट सब खुल चुके हैं, लेकिन ज्यादातर लोग बाहर खाने से अब भी परहेज कर रहे हैं. गिने चुने लोगों के सहारे ही इनका गुजर बसर हो रहा है.
धर्मशाला में कॉलेज रोड के पास छोले टिकी की रेहड़ी लगाने वाले ओमकार कहते हैं कि लॉकडाउन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और अब जब काम दोबारा शुरू हुआ है तो काफी कुछ बदलाव हुए हैं. अब दुकान पर आने वाले ग्राहकों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की अपील की जाती है. इसके अलावा सेनेटाइजर रखा गया है, ताकि दुकान पर आने वाले हर ग्राहक इसका उपयोग कर सके. उन्होंने कहा कि अभी भी लोग दुकानों में कम आ रहे हैं और कारोबार में कोई ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है.
वहीं, बर्गर की रेहड़ी लगाने वाले उपराम कहते हैं कि कोरोना के इस दौर में 4 से 5 महीने बिल्कुल घर में बैठे रहे हैं. अब सावधानी बरतना जरूरी है. इसके लिए मास्क और ग्लब्ज पहनना जरूरी है. दुकान में आने वाले हर व्यक्ति से दूरी बनाए रखना जरूरी है.