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देवभूमि में डिजिटल बाबा ने रमाई धूनी, डिजिटल कथाओं से युवाओं को लुभा रहे हैं हाईटेक बाबा - बैजनाथ बाबा डिजिटल

स्वामी राम शंकर(digital baba) को आज लोग डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं. 2009 में ये पहली बार धर्मशाला स्थित तपोवन में शिक्षा ग्रहण करने आए थे. कुछ साल यहां पर रहने के बाद बाबा देशभर के भ्रमण पर निकल गए. इस दौरान डिजिटल बाबा ने 16 अलग अलग राज्यों में जाकर भी शिक्षा ग्रहण की. 2017 में बाबा ने फिर हिमाचल का रुख किया और बाबा ने इस बार यहीं अपना डेरा जमा लिया. आज बाबा कांगड़ा के बैजनाथ में ही अपनी कुटिया बना कर रहे हैं.

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Published : Jun 2, 2021, 11:06 PM IST

Updated : Jun 3, 2021, 9:24 AM IST

धर्मशाला:अक्सर साधु बाबाओं के हाथ में माला, कमंडल आदि होते हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे बाबाजी से मिलवाने जा रहे हैं, जिनके शरीर पर भगवा वस्त्र और हाथ में कैमरा, स्मार्टफोन होता है. राम कथा तो बांचते ही हैं, डिजिटल कथा के भी माहिर हैं. ये बाबा डिजिटल दुनिया के भी सिद्ध हैं.

इनका नाम राम शंकर है और आजकल इनकी धूनी शिव नगरी बैजनाथ में रमी है. लोग इन्हें डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं. बाबा अभी युवा अवस्था में हैं और इनके फॉलोवर्स में युवाओं की अच्छी खासी संख्या है. बाबा सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के बीच धर्म और आध्यात्म का प्रचार कर रहे हैं. बाबा राम शंकर को ई गैजेट की शानदार समझ है वे कुंभ मेले की लाइव रिपोर्टिंग करके सुर्खियां बटोर चुके हैं.

सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स

बाबा युवाओं को अपनी कुटिया में आमंत्रित करते हुए कहते हैं.. युवा उनकी कुटिया में कुछ समय बिताकर उनकी जीवनशैली को करीब से देखें और अपनी लाइफ में परिवर्तन महसूस करें. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर इनके लाखों फॉलोवर्स हैं. बाबा अपने भक्तों यां यू कह लीजिए की अपने लाखों फॉलोअर्स को सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर ही प्रवचन देते हैं. लाखों लोग इनके प्रवचन सुनते हैं और अपने विचार सांझा करते हैं. भगवा वस्त्र धारण किए हुए एक युवा बाबा को स्टैंड पर अपना मोबाइल और कैमरा कसकर प्रवचन देते हुए देखकर लोग हैरान होते हैं.

2009 में पहली बार आए थे धर्मशाला

डिजिटल बाबा 2009 में पहली बार धर्मशाला स्थित तपोवन में शिक्षा ग्रहण करने आए थे. कुछ साल यहां पर रहने के बाद बाबा देशभर के भ्रमण पर निकल गए. इस दौरान डिजिटल बाबा ने 16 अलग अलग राज्यों में जाकर भी शिक्षा ग्रहण की, लेकिन जो आनंद, सुख और आत्मिक अनुभव उन्हें हिमाचल में रहकर मिला वो किसी भी राज्य में नहीं था. उन्होंने कहा कि जब उनकी शिक्ष पूरी हुई तो उन्होंने मन बनाया की अब हिमाचल में ही कुटिया बना कर रहा जाए. 2017 में बाबा ने फिर हिमाचल का रुख किया और बाबा ने इस बार यहीं अपना डेरा जमा लिया. आज बाबा कांगड़ा के बैजनाथ में ही अपनी कुटिया बना कर रहे हैं.

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स्वामी राम शंकर असली नाम

बाबा मूलरूप से गोरखपुर के देवरिया के रहने वाले हैं. इनका असली नाम स्वामी राम शंकर हैं जिन्हें आज लोग डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं. बाबा ने सिर्फ शास्त्र ही नहीं पढ़े हैं. इन्होंने बी. कॉम भी किया है. इसके बाद कालवा गुरुकुल से बाबा ने संस्कृत की शिक्षा हासिल की. हिमाचल के कांगड़ा में स्थित चिन्मय मिशन की ओर से संचालित गुरुकुल संदीपनी हिमालय में स्वामी गंगेशानन्द सरस्वती के पास तीन साल तक रह कर वेदांत उपनिषद्, भगवद्गीता, रामायण आदि स्नातन धर्म के शास्त्रो का अध्ययन किया.

समय के साथ बदल रही चीजें

ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में डिजिटल बाबा ने कहा कि समय के साथ कई चीजें बदल रही हैं. पहले के समय में एक ही तरीका होता था कि बाबा मंच पर बैठ जाता था और प्रवचन लोगों को सुनाते थे. आस पास के लोग भी उस मंच के पास इकट्ठा हो जाते थे और प्रवचनों को सुनते थे, लेकिन इस माध्यम से बहुत काम लोग प्रवचनो को सुन पाते थे. कुछ गिने चुने लोग ही वहां मौजूद होते थे. खास कर युवा वर्ग की संख्या काफी कम होती थी.

आज सोशल मीडिया में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम का जमाना है. इनके जरिए आध्यात्मिक, योग, नैतिक मूल्यों की बातें युवा वर्ग को समझाते हैं तो आसानी से यह बात युवाओं तक पहुंच जाती हैं. एक समय में ही आप अपनी बात हजारों लोगों तक पहुंचा सकते हो. सोशल मीडिया के माध्यम से युवा भी सभी बातों को ध्यान से सुनते और समझते भी हैं और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं. सोशल मीडिया पर दुनिया भर के लोग आपको देखने समझने के साथ आपकी बातों पर भी अमल करते हैं.

डिजिटल बाबा ने कहा कि सोशल मीडिया पर युवा पीढ़ी काफी ज्यादा संख्या में सक्रिय रहती है. सुबह से शाम तक कई युवा यहां अपडेट रहते हैं. अगर युवाओं को योग और पुराणों की बातें जानने के लिए बैजनाथ बुलाया जाए तो ऐसी सूरत में युवाओं का यह आना संभव नही हो पाएगा, लेकिन यही बातें सोशल मीडिया के जरिए आसानी से युवाओं तक पहुंचाई जा सकती हैं. अगर कोई युवा उनसे कोई समाधान भी लेना चाहता है तो उसकी समस्या का समाधान सोशल मीडिया के माध्यम से ही बताया दिया जाता है.

कुंभ में रहा शानदार अनुभव

डिजिटल बाबा आज के दौर की डिजिटल दुनिया का पूरा ABCD जानते हैं. इनका डिजिटल ज्ञान देखकर कुंभ के मेले में इन्हें खूब ख्याति मिली. कुंभ के मेले में इन्हें देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ती थी. उन्होंने कहा कि कुंभ मेले का भी अच्छा अनुभव रहा. कुंभ के मेले में दुनिया भर के साधु संत वहां पर उपस्थित थे ओर उस दृश्य को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. इस दौरान उन्होंने वहां पर आने वाले लोगों से भी बातचीत की और उन्हें अध्यात्म योग जीवनशैली इन सब विषयों पर चर्चा हुई.

सोए रहने से पूरे नहीं होते सपने

उन्होंने कहा कि जिंदगी में सबसे ज्यादा जरूरी है कि सपनों को पूरा किया जाए, लेकिन जिंदगी में सोए रहने से सपने पूरे नहीं किये जा सकते. इन सपनो को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता होती है. इसके लिए युवाओं को अच्छे से पढ़ाई करनी चाहिए और खुद को तैयार करना होगा.

नशे से बचने की सलाह

बाबा ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि युवा नशे की दलदल में ना फंसे और अगर युवाओं के आस पास कोई नशा करता है तो ऐसे लोगों से दूरी बना लें. उन्होंने कहा कि कोई ऐसा मंत्र- जंत्र या शब्द नही है जो युवाओं को सुना दें और वो नशे की दलदल से बच जाएं. युवाओं को खुद ही नशे से दूर रहना होगा. बाबा ने कहा कि मैं एक साधक हूं, जिसका सपना खुद को जानना और समझना है. मेरे पास जो अनुभव है वो मैं युवाओं के साथ बांटना चाहता हूं. बाहर की दुनिया से जो आप चाहते हैं उसे पाने का प्रयास करें, लेकिन भीतर से खुद के साथ भी जुड़े रहें.

युवाओं के लिए हमेशा खुले रहती बाबा की कुटिया

बाबा ने कहा कि लोग हिमाचल में घूमना चाहते हैं या कुछ दिनों के लिए यहां रहना चाहते हैं और नजदीक से हिमाचल की सुंदरता को निहारना चाहते हैं, लेकिन युवाओं के पास पैसा ज्यादा नहीं होता कि वो होटल में रुक सकें. ऐसे में बाबा ने युवाओं को खुला ऑफर दिया है कि जो युवा हिमाचल देखना चाहते हैं वो उनकी कुटिया में निशुल्क कुछ समय के लिए रह सकते हैं. शर्त सिर्फ इतनी है कि कुटिया में रहते हुए किसी भी प्रकार के नशे का सेवन ना किया जाए.

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Last Updated : Jun 3, 2021, 9:24 AM IST

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