धर्मशाला:अक्सर साधु बाबाओं के हाथ में माला, कमंडल आदि होते हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे बाबाजी से मिलवाने जा रहे हैं, जिनके शरीर पर भगवा वस्त्र और हाथ में कैमरा, स्मार्टफोन होता है. राम कथा तो बांचते ही हैं, डिजिटल कथा के भी माहिर हैं. ये बाबा डिजिटल दुनिया के भी सिद्ध हैं.
इनका नाम राम शंकर है और आजकल इनकी धूनी शिव नगरी बैजनाथ में रमी है. लोग इन्हें डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं. बाबा अभी युवा अवस्था में हैं और इनके फॉलोवर्स में युवाओं की अच्छी खासी संख्या है. बाबा सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के बीच धर्म और आध्यात्म का प्रचार कर रहे हैं. बाबा राम शंकर को ई गैजेट की शानदार समझ है वे कुंभ मेले की लाइव रिपोर्टिंग करके सुर्खियां बटोर चुके हैं.
सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स
बाबा युवाओं को अपनी कुटिया में आमंत्रित करते हुए कहते हैं.. युवा उनकी कुटिया में कुछ समय बिताकर उनकी जीवनशैली को करीब से देखें और अपनी लाइफ में परिवर्तन महसूस करें. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर इनके लाखों फॉलोवर्स हैं. बाबा अपने भक्तों यां यू कह लीजिए की अपने लाखों फॉलोअर्स को सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर ही प्रवचन देते हैं. लाखों लोग इनके प्रवचन सुनते हैं और अपने विचार सांझा करते हैं. भगवा वस्त्र धारण किए हुए एक युवा बाबा को स्टैंड पर अपना मोबाइल और कैमरा कसकर प्रवचन देते हुए देखकर लोग हैरान होते हैं.
2009 में पहली बार आए थे धर्मशाला
डिजिटल बाबा 2009 में पहली बार धर्मशाला स्थित तपोवन में शिक्षा ग्रहण करने आए थे. कुछ साल यहां पर रहने के बाद बाबा देशभर के भ्रमण पर निकल गए. इस दौरान डिजिटल बाबा ने 16 अलग अलग राज्यों में जाकर भी शिक्षा ग्रहण की, लेकिन जो आनंद, सुख और आत्मिक अनुभव उन्हें हिमाचल में रहकर मिला वो किसी भी राज्य में नहीं था. उन्होंने कहा कि जब उनकी शिक्ष पूरी हुई तो उन्होंने मन बनाया की अब हिमाचल में ही कुटिया बना कर रहा जाए. 2017 में बाबा ने फिर हिमाचल का रुख किया और बाबा ने इस बार यहीं अपना डेरा जमा लिया. आज बाबा कांगड़ा के बैजनाथ में ही अपनी कुटिया बना कर रहे हैं.
स्वामी राम शंकर असली नाम
बाबा मूलरूप से गोरखपुर के देवरिया के रहने वाले हैं. इनका असली नाम स्वामी राम शंकर हैं जिन्हें आज लोग डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं. बाबा ने सिर्फ शास्त्र ही नहीं पढ़े हैं. इन्होंने बी. कॉम भी किया है. इसके बाद कालवा गुरुकुल से बाबा ने संस्कृत की शिक्षा हासिल की. हिमाचल के कांगड़ा में स्थित चिन्मय मिशन की ओर से संचालित गुरुकुल संदीपनी हिमालय में स्वामी गंगेशानन्द सरस्वती के पास तीन साल तक रह कर वेदांत उपनिषद्, भगवद्गीता, रामायण आदि स्नातन धर्म के शास्त्रो का अध्ययन किया.
समय के साथ बदल रही चीजें
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में डिजिटल बाबा ने कहा कि समय के साथ कई चीजें बदल रही हैं. पहले के समय में एक ही तरीका होता था कि बाबा मंच पर बैठ जाता था और प्रवचन लोगों को सुनाते थे. आस पास के लोग भी उस मंच के पास इकट्ठा हो जाते थे और प्रवचनों को सुनते थे, लेकिन इस माध्यम से बहुत काम लोग प्रवचनो को सुन पाते थे. कुछ गिने चुने लोग ही वहां मौजूद होते थे. खास कर युवा वर्ग की संख्या काफी कम होती थी.
आज सोशल मीडिया में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम का जमाना है. इनके जरिए आध्यात्मिक, योग, नैतिक मूल्यों की बातें युवा वर्ग को समझाते हैं तो आसानी से यह बात युवाओं तक पहुंच जाती हैं. एक समय में ही आप अपनी बात हजारों लोगों तक पहुंचा सकते हो. सोशल मीडिया के माध्यम से युवा भी सभी बातों को ध्यान से सुनते और समझते भी हैं और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं. सोशल मीडिया पर दुनिया भर के लोग आपको देखने समझने के साथ आपकी बातों पर भी अमल करते हैं.