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शास्त्री शिक्षकों की बैचवाइज भर्ती पर रोक के विरोध में उतरे अभ्यर्थी, सीएम से की जल्द काउंसलिंग शुरू करने की मांग

आज शास्त्री शिक्षकों की बैचवाइज भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों की काउंसलिंग होनी थी, लेकिन सरकार ने इसे स्थगित कर दिया. वहीं, काउंसलिंग के लिए धर्मशाला पहुंचे अभ्यर्थियों ने काउंसलिंग पर लगी रोक के खिलाफ विरोध जताया. अभ्यर्थियों ने सीएम को पत्र भेजकर काउंसलिंग प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरा करने की मांग की.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 18, 2023, 4:25 PM IST

धर्मशाला: शास्त्री शिक्षकों की बैचवाइज भर्ती पर सरकार द्वारा रोक लगाने पर अभ्यर्थी नाराज हैं. शनिवार को काउंसलिंग में भाग लेने पहुंचे दर्जनों अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार द्वारा काउंसलिंग को रोकना, पात्र अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है. अभ्यर्थियों राकेश कुमार और इंदु सहित अन्यों का कहना है कि एमए बीएड वालों को शास्त्री काउंसलिंग के लिए कंसीडर किया गया था, जिसके चलते जिला के विभिन्न क्षेत्रों से अभ्यर्थी शनिवार को धर्मशाला पहुंचे थे. इस दौरान अभ्यर्थियों ने सीएम को पत्र भेजकर एक सप्ताह के भीतर काउंसलिंग प्रक्रिया पूर्ण करने का आग्रह किया है.

अभ्यर्थियों का कहना है कि वे वर्ष 2017 से लगातार काउंसलिंग में भाग ले रहे हैं. इस बार सरकार ने बीए संस्कृत और एमए संस्कृत वालों को शास्त्री के लिए पात्र माना है. हमें यहां पहुंचने पर बताया गया कि सरकार ने काउंसलिंग को रद्द कर दिया है. पिछले कल जनरल कैटगिरी की काउंसलिंग हो चुकी है, जबकि शनिवार को एससी, एसटी और ओबीसी कैटागिरी के अभ्यर्थियों की काउंसलिंग थी, जिसे सरकार ने रद्द कर दिया.

वहीं, अभ्यर्थियों का कहना है कि शास्त्री पदों के लिए वे पात्र हैं, क्योंकि हमने बीए में संस्कृत पढ़ी होती है. धर्मशाला पहुंचे अभ्यर्थियों का कहना था कि हमने भी बीए संस्कृत, एमए संस्कृत की है और बीएड भी की है. संस्कृत के डिप्लोमा किए हुए हैं, साथ ही एमफिल और पीएचडी की है. अभ्यर्थियों का कहना था कि वे वर्ष 2017 से काउंसलिंग अटेंड कर रहे हैं, लेकिन हर बार हमें नकारा जा रहा है.

सीएम को भेजे पत्र में अभ्यर्थियों ने कहा बीए और एमए संस्कृत वालों को भर्ती के लिए पात्र माना जाए. अभ्यर्थियों का कहना है कि नए आरएंडपी रूल्स के तहत की जा रही भर्ती सही है और बीएड भी जरूरी है. अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले 20 सालों से वह निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ा रहे हैं और शिक्षा देने का अनुभव रखते हैं. साथ ही अभ्यर्थियों का यह भी कहना था कि एक ओर सरकार तीसरी कक्षा से संस्कृत शुरू करने की बात कह रही है. जबकि भर्तियों में बीए और एमए संस्कृत वालों को नजरअंदाज किया जा रहा है.

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