धर्मशाला: दलाई लामा तिब्बतियों के धर्म प्रमुख के साथ-साथ विश्व शांति के दूत भी हैं. आधी सदी से ज्यादा समय से वह निर्वासन में हैं, लेकिन दलाई लामा आज भी चीन की आंखों में खटकते हैं. आज दलाई लामा का 86वां जन्मदिन है. तिब्बत के ल्हासा में आधिकारिक महल पोटाला से दूर भारत में यह उनकी 62वीं जन्मतिथि है.
दलाई लामा का मूल नाम तेनजिन ग्यात्सो है. तेनजिन ग्यात्सो को जिस समय दलाई लामा के तौर पर मान्यता मिली थी, उस वक्त वे मात्र दो वर्ष के थे. दलाई लामा शब्द मंगोल भाषा से लिया गया है. इसका अर्थ है ज्ञान का सागर. कुंबुम मठ में अभिषेक के बाद उन्हें माता-पिता का ज्यादा साथ नहीं मिल पाया. इसका कारण उनका दलाई लामा बनना था. इनकी शिक्षा-दीक्षा उसी अनुरूप होनी थी.
किताब में किया बचपन का जिक्र
महामहिम ने स्वयं एक किताब में लिखा है कि एक छोटे बच्चे के लिए मां-बाप से इस तरह अलग रहना सचमुच बहुत कठिन होता है. उस वक्त तो उन्हें यह भी पता नहीं था कि दलाई लामा होने का मतलब क्या है. मैं दूसरों की तरह ही एक छोटा बच्चा था. बचपन में उन्हें एक खास शौक था कि वह एक झोले में कुछ चीजें डालकर उन्हें कंधे पर लटका लेते थे व ऐसा नाटक करते थे कि वह एक लंबी यात्रा पर जा रहे हैं. अक्सर कहा करते थे कि वो ल्हासा जा रहे हैं. दलाई लामा खाने की मेज पर हमेशा जिद करते थे कि मुझे सबसे प्रमुख स्थान पर बिठाया जाए.