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कांगड़ा सीट: गुरु की सत्ता के लिए चुनावी मैदान में उतरे 2 शिष्य, रोमांचक होगा 'त्रिगर्त' का रण

कई पहलुओं से अहम चंबा-कांगड़ा सीट पर दोनों ही पार्टियों की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है. बीजेपी के मौजूदा सांसद शांता कुमार के लिए ये चुनाव साख की लड़ाई साबित होने वाला है.

किशन कपूर और पवन काजल

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Published : Apr 12, 2019, 4:34 PM IST

धर्मशालाः लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं. हिमाचल की चारों सीटों में से चंबा-कांगड़ा सीट पर कांग्रेस की ओर से पवन काजल को मैदान में उतारा गया है वहीं, भाजपा की ओर से इस सीट पर किशन कपूर को टिकट दिया गया है.

कई पहलुओं से अहम चंबा-कांगड़ा सीट पर दोनों ही पार्टियों की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है. बीजेपी के मौजूदा सांसद शांता कुमार के लिए ये चुनाव साख की लड़ाई साबित होने वाला है. क्योंकि शांता कुमार ने खुद यहां से चुनाव लड़ने की बजाय चुनाव लड़वाने की बात कही थी. शांता कुमार के होल्ड को देखते हुए ही पार्टी ने उनके करीबी किशन कपूर को चंबा कांगड़ा से मैदान में उतारा है.

वहीं, कांग्रेस भी यहां से हर हाल में सीट जीतना चाहेगी. पहले इस सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली और पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों में से किसी एक को टिकट दिए जाने के सूरतेहाल में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच होने वाले मतभेदों को देखते हुए ही दोनों की पसंद पवन काजल को प्रत्याशी बनाया गया है.

अगर चंबा-कांगड़ा संसदीय सीट की बात की जाए तो इस संसदीय क्षेत्र में प्रदेश की 17 विधानसभा सीटें शामिल हैं. जिस में 4 सीटें चंबा जिले की हैं तो 13 विधानसभा सीटें कांगड़ा जिले की. कांगड़ा जिला की बैजनाथ , पालमपुर, सुलह, जयसिंहपुर, ज्वालाजी, नगरोटा-बगवां, धर्मशाला, शाहपुर, नूरपुर, इंदौरा, कांगड़ा, ज्वाली, फतेहपुर सीटें शामिल हैं. चंबा जिले से चंबा सदर, भटियात, चुराह और डलहौजी विधानसभा सीटें शामिल हैं.

कांगड़ा की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर रिपोर्ट

वहीं, 17 विधानसभा क्षेत्रों में से वर्तमान में कांग्रेस के पास 4 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. जिमसें से कांगड़ा, फतेहपुर, पालमपुर और डलहौजी से कांग्रेस के विधयाक मौजूद हैं. बाकी तमाम सीटों पर भाजपा का कब्जा है. मौजूदा स्थिति में भाजपा की इन 17 सीटों में से तीन पर मंत्रिमंडल के सदस्य विराजमान हैं तो 1 सीट पर विधानसभा के उपाध्यक्ष का दर्जा दिया गया है.

सुलह से विपन सिंह परमार, शाहपुर से सरवीण चौधरी, धर्मशाला से किशन कपूर और चुराह से हसराज. वहीं, प्रदेश में इस वक्त भाजपा की सरकार है तो कांगड़ा चंबा-लोकसभा संसदीय क्षेत्र में 13 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. अगर 2014 के लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो भाजपा के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार थे जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी चंद्र कुमार को 1 लाख 70 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था.

चंबा कांगड़ा से सांसद शांता कुमार

लोकसभा चुनाव 2014
2014 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो उस वक्त प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी. जिसमें जिला कांगड़ा की 13 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के पास 10 सीटें थी तो दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था.

कांगड़ा और इंदौरा सीट पर निर्दलीय विधायकों ने जीत हासिल की थी ओर लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया था भाजपा के पास एकमात्र सीट शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की थी. वहीं, चंबा जिला की बात की जाए तो 4 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के पास डलहौजी की सीट अपने हक में थी.

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बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद चंबा-कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभाओं में 13 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक थे, लेकिन उसके बावजूद भी कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी चंद्र कुमार को भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था. यह पहली बार हुआ था कि सत्ता पक्ष सरकार इस सीट को हारी थी. इससे पहले राज्य में जिस भी पार्टी की सरकार होती है कांगड़ा लोकसभा सीट उसी पार्टी के हक में होती थी.

लोकसभा चुनाव 2009
वहीं, अगर 2009 के चुनाव की बात की जाए तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. राजन सुशांत ने कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी चंद्र कुमार को हराया था और प्रदेश में उस वक्त प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में सरकार थी. तो वहीं 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी चंद्र कुमार ने जीत हासिल की थी और प्रदेश में वीरभद्र की सरकार सत्ता में थी.

अगर वर्तमान स्थिति में चंबा-कांगड़ा लोकसभा सीट की बात की जाए तो भाजपा ने किशन कपूर जो की गद्दी समुदाय से आते हैं उन्हें प्रत्याशी बनाया गया है और कांग्रेस की तरफ से कांगड़ा के विधायक पवन काजल को प्रत्याशी बनाया गया है जो कि ओबीसी वर्ग से अपना नाता रखते हैं.

चंबा-कांगड़ा सीट की मौजूदा स्थिति
वहीं, अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा के पक्ष में मोदी लहर दिखी थी जिस वजह से कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी चंद्र कुमार को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की यूपीए सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का भी जमकर फायदा उठाया था जिस वजह से भाजपा को जीत हासिल हुई थी.

इस बारे में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार का कहना है कि 2014 में मोदी लहर थी और मोदी लहर कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों के कारण थी. परमार ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में यह लहर नहीं है यह कहर है. उन्होंने कहा कि कांगड़ा चंबा लोक सभा सीट पर एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी की जीत हासिल होगी. उन्होंने कहा कि हमारा सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्रवाद का है और प्रदेश और देश में चलाई गई योजनाओं को लेकर हम चुनाव मैदान में उतरे हैं.

वहीं. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रामस्वरूप शर्मा ने भी माना कि पिछली बार मोदी लहर का असर हुआ था जिस वजह से कांग्रेस को चंबा-कांगड़ा सीट गवांनी पड़ी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसा नहीं होने वाला क्योंकि मोदी पूरी तरह से एक्सपोज हो चुके हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि यहां के सांसद ने भी जो वादे जनता के साथ किए तो वो पूरे नहीं हुए हैं. इन्हीं सब मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनावों में उतरेगी.

चंबा कांगड़ा सीट पर मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उदयवीर पठानिया ने कहा कि हिमाचल का इतिहास रहा है कि हिमाचली लोग सत्ता पक्ष के साथ चलते हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. वहीं, उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी लहर का असर जो था वह देखने को मिला था, लेकिन इस बार फिर से भाजपा ने मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना शुरू किया है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले मोदी का चेहरा आता है और उसके बाद भाजपा आती है.

पिछले तीन चुनाव/प्रत्याशी को पड़े कुल वोट


वर्ष भाजपा प्रत्याशी/वोट कांग्रेस प्रत्याशी/वोट
2014 शांता कुमार (4,56,163) चंद्र कुमार (2,86,091)
2009 राजन सुशांत (3,22,254) चंद्र कुमार (3,01,475)
2004 शांता कुमार (2,96,764) चंद्र कुमार (3,14,555),

अब तक हुए लोकसभा चुनावों में चंबा-कांगड़ा सीट
वर्ष प्रत्याशी पार्टी
1951 हेमराज कांग्रेस
1957 हेमराज कांग्रेस
1962 हेमराज कांग्रेस
1967 हेमराज कांग्रेस
1971 विक्रम चंद कांग्रेस
1977 दुर्गा चंद भारतीय लोक दल (BLD)
1980 विक्रम चंद महाजन कांग्रेस
1984 चंद्रेश कुमारी कांग्रेस
1989 शांता कुमार भाजपा
1991 डीडी खनौरिया भाजपा
1996 सत महाजन कांग्रेस
1998 शांता कुमार भाजपा
1999 शांता कुमार भाजपा
2004 चंद्र कुमार कांग्रेस
2009 राजन सुशांत भाजपा
2014 शांता कुमार भाजपा

वहीं, आजादी के बाद जब पहली बार लोकसभा चुनाव हुए तो वर्ष 1951 से कांग्रेस के हेमराज ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. वह लगातार 4 बार 1951, 1957, 1962 और 1967 में सांसद रहे. वहीं, 1971 में कांग्रेस के ही विक्रम चंद इस सीट से जीते.

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