CSIR पालमपुर ने सफलतापूर्वक उगाया मोंक फ्रूट, मधुमेह रोगियों को लिए रामबाण है फल - हिमाचल न्यूज
चीन में पाया जाने वाले मोंक फ्रूट के पौधे को सीएसआईआर पालमपुर में तैयार कर लिया गया है. ये फल शुगर के मरीजों के लिए रामबाण है. मोंक फ्रूट हरे रंग का होता है जो बेल पर लगता है. एनबीपीजआर (नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिर्सास) से मंजूरी मिलने के बाद इस पौधे को बड़े स्तर पर तैयार किया जा रहा है.
CSIR Palampur has grown monk fruit
पालमपुर: मूलरुप से चीन में पाया जाने वाले मोंक फ्रूट के पौधे को सीएसआईआर पालमपुर में तैयार किया गया है. ये फल शुगर के मरीजों के लिए रामबाण है. मोंक फ्रूट हरे रंग का होता है जो बेल पर लगता है.
जानकारों के अनुसार, जहां स्टीविया में थोड़ी कड़वाहट होती है. वहीं, मोंक फ्रूट का स्वाद अधिक मिठास भरा होता है. मोंक फ्रूट में मोग्रोसाइड के साथ एमिनो एसिड, फ्रक्टोज, खनिज और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. पेय पदार्थ, पके हुए या बेक्ड फूड्स में प्रयोग किए जाने के बावजूद इसकी मिठास कायम रहती है. चीन में मोंक फ्रूट का प्रयोग सर्दी, खांसी, गले और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के इलाज के लिए किया जाता है. वहीं, खून साफ करने के लिए भी ये फ्रूट उपयोगी है.
सीएसआईआर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि मोंक फ्रूट पौधे को तैयार करने में सफलता पा ली गई है. इस फल से स्टीविया की तर्ज पर मिठास का विकल्प तैयार किया जाएगा, जोकि डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक होगा. वहीं, आने वाले समय में मोंक फ्रूट किसानों की आय का अच्छा साधन बनकर उभरेगा. एक सर्वे के अनुसार, प्रति हैक्टेयर जमीन पर मोंक फ्रूट को उगाने से किसान डेढ़ लाख रुपये की आमदनी कमा सकते हैं.