धर्मशाला:कोरोना संकट के दौर में बाजारों को खोलने का दौर भले शुरू हो गया हो, लेकिन कारोबार अभी भी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौटा है. कबाड़ का व्यापार करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अनलॉक-3 शुरू हो चुका है, लेकिन कारोबार में कोई सुधार नहीं आया. रोज जहां एक हजार की कमाई होती थी. वहीं, अब 200-300 रुपए के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है.
कबाड़ का कारोबार करने वाले विनोद ने बताया कि पहले से इक्ट्ठा किया हुआ कबाड़ भी कोरोना के चलते नहीं बिक रहा. जहां इसे बेचते थे वहां की फैक्ट्रियां बंद हैं. न कबाड़ आ रहा न बिक रहा है. वहीं, उन्होंने कहा कि रोजना 3 से 4 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है. कोई 100 तो कोई 200 रुपए कमाकर वापस घर लौट रहा है. सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.
लेबर नहीं आई वापस
वही, दूसरे कबाड़ कारोबारी विनोद कुमार ने बताया 4 महीनों में कबाड़ का कारोबार पूरी तरह बंद है. कोरोना के डर से हम न तो सामान लेने कहीं जा पा रहे हैं और न कोई हमारे पास आ रहा है. उन्होंने बताया लेबर मार्च में घर चली गई थी, लेकिन अभी तक वापस नहीं आई. उन्होंने कहा सरकार को कबाड़ कारोबार करने वालों की मदद करनी चाहिए.
जमापूंजी हो गई खत्म
कबाड़ व्यापारियों ने बताया जो पैसा जमा किया था वह खत्म हो गया. कारोबार पूरी तरह से शुरू नहीं होने के कारण रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कबाड़ के कुछ ट्रक जैसे तैसे भरकर भेजे जा रहे हैं.वह भी दो-तीन दिन में वापस आ रहे हैं. इसका सारा खर्चा भी हमें ही उठाना पड़ रहा है. इस समय सारा कारोबार बंद सा हो गया है. हमारे उपर कर्जा चढ़ रहा है.
सरकार को टैक्स, इंश्योरेंस में राहत देना चाहिए. सरकार से काफी समय से मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया. बता दें कि लोगों के घरों और दुकानों में कबाड़ तो पड़ा हुआ है, लेकिन एक कोरोना का डर और दूसरा कम दाम मिलने से लोग इसे बेचने से परहेज कर रहे हैं.