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बढ़ती तेल कीमतों पर सीटू का पालमपुर में प्रदर्शन, सरकार से की दाम घटाने की मांग

सीटू के कांगड़ा अध्यक्ष केवल कुमार की अगुआई में पालमपुर के खड़ौठ में निर्माण मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया. केवल कुमार ने कहा कि सरकार बढ़ती तेल कीमतों को कम करे और सीटू हिमाचल सरकार से मांग कर रही है कि मनरेगा मजदूरों को वर्ष में 120 दिन व 275 दैनिक वेतन और श्रम कल्याण बोर्ड में सरल तरीके से पंजीकरण और बोर्ड से मिलने वाले लाभ मिलने चाहिए.

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Published : Jul 3, 2020, 6:25 PM IST

पालमपुर/कांगड़ा:संयुक्त ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज पूरे देश में मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए. इसी कड़ी में सीटू के कांगड़ा अध्यक्ष केवल कुमार की अगुआई में पालमपुर के खड़ौठ में निर्माण मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया.

सीटू के जिला अध्यक्ष केवल कुमार ने कहा कि आज देश के नौजवानों किसानों व मजदूरों के समक्ष जीवन यापन का संघर्ष ही एक रास्ता रह गया हैं, जिसके बल पर अपना, अपने परिवार व अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो गई है. देश के सारे सरकारी संस्थान या जनता का सेवा सेक्टर, निजी लघु उद्योग बड़ी-बड़ी कंपनियों व ठेकेदारों को बेच दिए गए.

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जिला अध्यक्ष केवल कुमार ने कहा कि दूसरा श्रम कानूनों को संशोधन के नाम पर खत्म कर दिया गया. तीसरा अब मालिकों या ठेकेदारों को कानूनी बंदिशों से मुक्त कर दिया गया ताकि कंपनियों के मालिक मनचाहे तरीके से मजदूरों का शोषण कर सकें. 12 घंटे की ड्यूटी का ऐलान भी इन्हीं कानूनों का हिस्सा है. चौथा इन्हीं श्रम कानूनों के तहत अब मजदूरों को अपने संघर्ष, मांग या हक मांगने का रास्ता बंद कर दिया है

केवल कुमार ने कहा कि पांचवां सीटू हिमाचल सरकार से मांग कर रही है कि मनरेगा मजदूरों को वर्ष में 120 दिन व 275 दैनिक वेतन और श्रम कल्याण बोर्ड में सरल तरीके से पंजीकरण और बोर्ड से मिलने वाले लाभ मिलने चाहिए.

यूनियन पिछले मार्च महीने से जून महीने तक के दो-दो हजार रुपये मनरेगा मजदूरों व अन्य कामगार सदस्यों के खाते में डाले जाएं को अभी तक नहीं डाले गए. पेट्रोल और डीजल के दाम लगतार बढ़ रहे हैं. पाकिस्तान जैसे देश से भी तीन गुना बढ़ गए है. तेल के बढे़ हुए दाम तुरंत घटाएं जाएं.

सीटू के जिला अध्यक्ष केवल कुमार ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सभी मजदूरों को मुफ्त 35 किलो राशन इस महामारी के समय तक दिया जाए. यूनियन 151 रेलगाड़ियों के निजीकरण का विरोध करती है. इस फैसले को वापिस लिया जाए. अगर सरकार ने इन मांगों को नहीं माना तो भविष्य में इस देश में गलियों गलियों में आंदोलन तेज होंगे.

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