धर्मशाला: कृषि कानूनों को लेकर संघर्षरत किसानों के समर्थन में सोमवार को हिमाचल किसान सभा व सीटू के साथ जुड़ी 7 किसान सभा, कांगड़ा नागरिक अधिकारी मंच व अन्य ने जिला मुख्यालय धर्मशाला में प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन करते हुए सीटू के जिला वित्त सचिव अशोक कटोच ने कहा कि मोदी सरकार किसानों को कुचलने पर आमादा है. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को दबाने से जाहिर हो चुका है कि भाजपा सरकार पूंजीपतियों घरानों के साथ हैं व उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज को दबाना चाहती है. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के तीनों नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं.
किसानों के इस आंदोलन को किसी ने हाईजैक नहीं किया है
अशोक कटोच ने कहा कि किसानों के इस आंदोलन को किसी ने हाईजैक नहीं किया है. बल्कि जनता के समर्थन से केंद्र में जो मोदी सरकार बैठी है उसे अंबानी और अडानी जैसे बड़े पूंजीपतियों ने हाईजैक कर लिया है और यह सरकार केवल उनका ही एजैंडा चला रही है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों की खेती को खत्म कर उसे कॉरपोरेट खेती में तबदील करने की कोशिश कर रही है यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिलों का जिला भर में विरोध किया जा रहा है.
अशोक ने ये भी कहा कि मोदी सरकार द्वारा किसानों की फसलों को कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रची जा रही है. इससे आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा.
किसानों के साथ आम लोगों की हालत भी दयनीय हो जाएगी
सीटू के जिला वित्त सचिव ने कहा कि कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों के साथ आम लोगों की हालत भी दयनीय हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि देश भर में जो लंबे समय से डिपो प्रणाली चलती आ रही वह भी पूरी तरह से तबाह हो जाएगी, क्योंकि सरकार की मंशा इससे भी पता चलती है कि वह बिजली बिल में सेक्शन 62 और 65 लाकर किसान को मुफ्त में मिलने वाली बिजली का रास्ता बंद हो, ताकि किसानों की लागत बढ़े और किसान खेती छोड़े अपनी सारी जमीनें कॉरपोरेट के हवाले कर दें. इसलिए सरकार देश में कृषि बिल को लाने की कोशिश कर रही है.