धर्मशाला: इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन में पहचान बना चुके मैक्लोडगंज (Tourist destination Mcleodganj) में भी उत्तराखंड के जोशीमठ जैसे हालात हो सकते हैं, यदि समय रहते लोग जागरूक नहीं हुए और उचित कदम नहीं उठाए गए. विशेषज्ञों का कहना है कि बहुमंजिला इमारतों से भूमि पर बोझ बढ़ता है और पहाड़ों पर पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होना और सीवरेज प्रावधान न होना भी इस तरह की आपदा का सबब बन सकता है.
उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath sinking reason) की घटना से हर कोई वाकिफ है. ऐसे में पहाड़ों पर इस तरह की आपदा से बचने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. पहाड़ों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही निर्माण किए जाने चाहिए. क्योंकि बहुमंजिला निर्माण से भूमि पर लोड पड़ता है और भूमि खिसकने की संभावना बढ़ जाती है. जोशीमठ जैसे ज्वलंत मुद्दे के साथ-साथ हिमाचल के पहाड़ों पर बन रहे बहुमंजिला भवनों का निर्माण भी एक बड़ा मसला है.
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के ज्योलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अंबरीश कुमार महाजन का कहना है कि जोशीमठ एक ऐसी जगह पर है, जहां ऑब्स्ट्रक्शन ड्रेनेज की वजह से आज के हालात बने हैं. यह आज का नहीं है, बल्कि पहले से धीरे-धीरे दरारें शुरू हो गईं थी, जो वर्तमान में डिजास्टर के रूप में उभर कर आई हैं.(Crisis in Joshimath)(No proper drainage system in Mcleodganj).