कांगड़ा: ऑनलाइन शॉपिंग के दौर में इस बार व्यापारियों को मंदी की ऐसी मार पड़ रही है कि उन्हें अपना खर्चा तक निकालना मुश्किल हो गया. प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा भी इस मार से अछूता नहीं है. कांगड़ा के प्रमुख व्यवसायिक कस्बे जसूर में दीवाली पर प्रदेश की सबसे बड़ी सेल लगाई जाती है.
इसमें जिला भर के लोग इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर घरेलू सामान की खरीददारी करते हैं, लेकिन इस बार व्यापारियों के चेहरों पर मायूसी साफ दिखाई दे रही है. ऑनलाइन शॉपिंग से स्थानीय व्यापारी परेशान हैं. साथ ही सरकार का ऑनलाइन मार्किट पर नियंत्रण न होने से स्थानीय व्यापारियों में आक्रोश पनप रहा है.
व्यापारियों का कहना है ऑनलाइन व्यापार से हर वर्ग को नुकसान हो रहा है. केंद्र और राज्य सरकार लगातार टैक्स लगाए जा रहे हैं, लेकिन इनका टर्नओवर गिरता ही जा रहा है. व्यापारियों ने कहा कि मोबाइल से लेकर कपड़ा व्यवसाय तक ऑनलाइन शॉपिंग से लाखों का नुकसान झेल रहा है.
इसी तरह हार्डवेयर समेत मेडिकल व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है. ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन के कारण शहर समेत छोटे कस्बों से खरीदारों की चहल-पहल करीब खत्म सी हो गई है. ज्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग को तवज्जो दे रहे हैं.
जसूर में हर वर्ग का दुकानदार आर्थिक मंदी समेत टर्न ओवर की कमी से जूझ रहा है. सबसे ज्यादा असर मोबाइल, कपड़ा, फुटवियर और इलेक्ट्रॉनिक का सामान बेचने वालों पर पड़ा है.
ऑनलाइन बिक्री को किया जाए नियंत्रित
कपड़ा व्यवसायी गौरव घई ने बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग से उनका काम मंदी के दौर से गुजर रहा है. लोग उनकी दुकान पर न आकर ऑनलाइन ही खरीददारी कर रहे हैं. दीवाली के दौरान इनकी दुकान में काफी लोग खरीददारी के लिए आते थे लेकिन इस बार लोग न के बराबर हैं.
पटाखों का कारोबार करने वाले नीरज ठाकुर ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग से कारोबारी बर्बादी की कगार पर है. नीरज ठाकुर ने बताया कि पहले दीवाली पर बाजार में तिल धरने की जगह नहीं होती थी लेकिन इस बार बाजार में रौनक ही नहीं है. बर्तन व्यापारी अंकित वर्मा ने बताया कि उनके कारोबार पर भी ऑनलाइन मार्किट का असर पड़ा है. आज के समय में व्यापारी वर्ग को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. दीवाली पर काम न के बराबर है.
मोबाइल का कारोबार करने वाले धीरज ठाकुर का कहना है कि ऑनलाइन कारोबार की वजह से उनके कारोबार पर भी असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हैं कि दुकान में रखे लड़कों को वेतन देने के पैसे नहीं बच रहे. साथ ही बैंक का ब्याज देना भी मुश्किल हो गया है. लोगों ने सरकार से मांग की है कि ऑनलाइन व्यापार पर नियंत्रण किया जाए और उन्हें राहत दी जाए.
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