ज्वालामुखी/कांगड़ा:जखोटा पंचायत के बोहल जागीर गांव के बोध राज पत्नी समेत मां बाप को खोने के बाद अपने दोनों बच्चों के साथ एक टूटे फूटे कच्चे मकान में गुजर बसर करने को मजबूर है. बोध राज का बेटा जन्म से ही बीमारी से जूझ रहा है, जिसका इलाज पीजीआई चंडीगढ़ में चल रहा है. वहीं, आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के कारण बोध राज को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
बोध राज के दो बच्चे हैं. 7 साल की मानवी दूसरी कक्षा में पढ़ाई कर रही है, जबकि उनका 10 साल का बेटा यश बचपन से ही बीमारी से ग्रस्त होने के कारण स्कूल नहीं भेजा जा सका. उसके इलाज पर हर महीने 10 से 12 हजार रुपये खर्चा आ रहा है. पीजीआई चंडीगढ़ में उसका इलाज हो रहा है. वहीं, आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के बावजूद भी बोध राज को बीपीएल में शामिल नहीं किया गया है. हालांकि, पंचायत प्रधान ने अब इस परिवार को बीपीएल सूची में शामिल करने की बात कही है.
बोध राज के अनुसार उसके बेटे की चंडीगढ़ में बाई पास सर्जरी की गई थी. डॉक्टरों के अनुसार उसके बेटे की एक किडनी बिल्कुल खराब हो चुकी है, जबकि दूसरी किडनी भी सही ढंग से काम नहीं करती है. एक बच्चे की बीमारी व दूसरे की पढ़ाई के चलते बोध राज को कभी उनका व अपना पेट पालने के लिए स्थानीय लोगों का सहारा लेना पड़ रहा है. साथ ही आसपास के लोगों के पास बच्चों को छोड़कर काम के लिए निकलना पड़ता है. दिहाड़ी या रसोइयों के साथ काम करके बोध राज अपना व बच्चों का गुजारा करता है, लेकिन बेटे के इलाज के चलते ये कमाई उसके लिए नाममात्र ही रहती है.
जानकारी के अनुसार उनके पिता का आर्मी में थे. इसके चलते इस परिवार को बीपीएल में शामिल नहीं किया गया, लेकिन अब उनके पिता का देहांत हुए डेढ़ साल हो चुके हैं. वहीं, अब वैश्विक महामारी कोरोना के बीच बोध राज को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना के चलते उसके पास कमाई का भी कोई साधन नहीं रहा है.
वर्ष 2018 में परिवार के 3 सदस्यों की हुई मौत