कांगड़ा जिले का 'फल गांव' जो प्रदेश के किसानों के लिए बना प्रेरणा धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल का सेहल गांव फल उत्पादक गांव के रूप में जाना जाने लगा है. इस गांव में को यह पहचान मिली है अमरूद से. जी हां, प्रदेश सरकार के सहयोग से गांव के 34 परिवारों ने अमरूद उत्पादन में मिसाल पेश की है. लावारिस और जंगली जानवरों एवं अन्य मुश्किलों के कारण खेती-बाड़ी छोड़ चुके लोग अब समाज को फल उगाने के लिए आगे आने को प्रेरित कर रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश सरकार के एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तपोषित एचपी शिवा परियोजना (सब ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, इरीगेशन एंड वैल्यू एडिशन प्रोजेक्ट) के अंतर्गत सेहल गांव में 6 हेक्टेयर (150 कनाल) क्षेत्र में संतरे व अमरूद का बगीचा लगाया गया है. Horticulture Department की निगरानी में तैयार हुए इस बगीचे में अमरूद के 12,950 और संतरे के 450 उन्नत किस्म के साढ़े 13 हजार पौधे तैयार किए गए हैं. स्वेता, ललित व वीएनआर बीही प्रजाति के 1 पौधे में 3 साल के बाद 30 किलो फल देने की क्षमता है.
वहीं, जंगली और लावारिस जानवरों से फसल को बचाने के लिए पूरे क्षेत्र की सोलर बाड़-बंदी की गई है. इसके साथ ही पौधों की समय पर सिंचाई हो इसके लिए आधुनिक सोलर सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें सिंचाई के लिए बिजली की कोई जरूरत नहीं है. यहां सिंचाई के लिए लगभग 1 लाख लीटर क्षमता का ओवर हेड टैंक भी बनाया गया है.
सेहल निवासी राजेन्द्र कुमार, रमेश शर्मा, गंगा राम और संदीप कुमार ने बताया कि एचपी शिवा परियोजना के तहत एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्रदर्शन के रूप में 1000 अमरूद और 450 संतरे के पौधे रोपित करवाए थे. अच्छी आमदन और प्रोजेक्ट की सफलता से प्रभावित होकर गांव के अन्य 34 परिवारों ने रुचि दिखाई और 5 हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद का उत्पादन शुरू किया है. सिंचाई की सुविधा होने के चलते अमरूद के बगीचे में मिश्रित खेती कर किसान मौसमी सब्जियां भी उगा रहे हैं.
किसानों का कहना है कि प्रदेश सरकार के सहयोग से अमरूद व संतरे के पौधे लगाए हैं. उन्हें अच्छी इनकम प्राप्त होने से गांव के कुछ लोगों को उनके पास रोजगार भी प्राप्त हुआ है. किसानों का कहना है कि अमरूद की मांग भी काफी है. खेत से ही अमरूद 50 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं, किसान उनके खेतों में ही वैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध करवाने के लिए प्रदेश सरकार का सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में फल उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं और आमदनी का भी अच्छा माध्यम है इसलिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को फल उत्पादन के लिए आगे आना चाहिए.
बैजनाथ उद्यान विभाग के विषय वाद विशेषज्ञ डॉ. अजय संगराय के मुताबिक प्रदेश को फल राज्य बनाने की दिशा में एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से यह एचपी शिवा परियोजना संचालित की जा रही है. यह 300 करोड़ की परियोजना है. इसके अंतर्गत किसान जंगली जानवर, आवारा पशु और बंदरों के कारण अपने कृषि कार्य को छोड़ चुके हैं उनको फिर से कृषि की तरफ लाना है.
इस योजना में जल शक्ति विभाग और उद्यान विभाग है उनके द्वारा किसानों के खेतों की बाड़बंदी की जाती है व उनको उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध करवाए जाते हैं. इस योजना में किसानों को आर्थिक रूप में सुदृढ़ करने के लिए 80-20 के अनुपात में सरकार सहयोग दे रही है. मिट्टी की जांच और फलों के लिए अनुकूल जलवायु के अनुरूप किसानों को संतरा, अमरूद, अनार, आम और लीची के उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध कर फल उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. एचपी शिवा परियोजना में 10 हेक्टर क्षेत्र (250 कनाल) तक किसानों को सामूहिक रूप में फलों के पौधे लगाने में सहयोग दिया जा रहा है. इस परियोजना में किसानों के लिए लोकल मार्केट, कोल्ड स्टोर और मार्केटिंग यार्ड इत्यादि की सुविधा भी प्रावधान किया गया है.
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