कांगड़ा: स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ प्रदेश के सबसे दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल के लिए नया सूरज लेकर आने वाली है. कबायली जीवन जी रहे लोग स्वतंत्रता दिवस समारोह में किसी अधिकारी को अपने जीवन में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हुए देखेंगे.
जी हां, यह बात सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सच है कि दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल पहली पहली बार प्रशासनिक अमला पहुंच रहा है और वहां रहने वाले लोगों को यह बताएगा कि देश के संसाधनों पर उनका भी अधिकार है. कांगड़ा जिले का बड़ा भंगाल क्षेत्र जितना दुर्गम है, विकास की दौड़ में उतना ही पिछड़ा हुआ है. यहां पहुंचने के लिए ना कोई यातायात का साधन है और ना ही कोई हवाई व्यवस्था का प्रावधान है. इस गांव में ना बिजली की व्यवस्था है और ना ही टेलीफोन की.
21वीं सदी में भी यहां के लोग आज भी असुविधाओं के बीच जीवन जीने को मजबूर हैं. विकास के नाम पर सरकार ने यहां पर हाई स्कूल तक की व्यवस्था की है, लेकिन इस स्कूल में स्टाफ का सदा ही अभाव रहा है. आयुर्वेदिक अस्पताल और पशुओं के लिए भी औषधालय की व्यवस्था है, लेकिन स्टाफ व दवाओं की कमी हमेशा यहां पर लोगों को खलती है.
यहां पहुंचने के लिए राजगुंधा होते हुए 3 दिन पैदल चलना पड़ता है या वाया होली होते हुए 2 दिन पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है. दुर्गम होने के चलते यहां पर सरकार की ओर से सुविधाएं पहुंचाना भी आसान नहीं है. बड़ा भंगाल पंचायत बैजनाथ उपमंडल के तहत है. ऐसे में उपमंडल अधिकारी बैजनाथ ने पहली बार यह प्रयास किया है कि 15 अगस्त के दिन उपमंडल स्तर का स्वतंत्रता दिवस समारोह इस दुर्गम पंचायत में आयोजित किया जाए.
स्वतंत्रता दिवस समारोह के साथ-साथ उन्होंने यहां पर प्रशासन आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित करने का भी फैसला लिया है. इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य, कृषि और राजस्व विभाग के अतिरिक्त विकासखंड बैजनाथ के अधिकारियों की एक टीम भी मौके पर मौजूद रहेगी और लोगों को उनके हकों से अवगत करवाएंगे.