धर्मशाला: आयुर्वेद विभाग की पहल पर अब किसान औषधीय पौधों की खेती को तरजीह दे रहे हैं. कुठ, कुटकी, अतीस की खेती किसानों को मालामाल कर सकती है.कांगड़ा जिला के ऊपरी क्षेत्रों बड़ा भंगाल और मैक्लोडगंज में औषधीय पौधों की खेती की जा सकती है. वहीं, निचले क्षेत्रों में सुगंधवाला, अश्वगंधा, सर्पगंधा, तुलसी की खेती की जा सकती है.
औषधीय खेती के प्रति किसानों के बढ़ते रुझान को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने ई-चरक नाम से मोबाइल ऐप तैयार किया है, जहां किसान अपने औषधीय उत्पाद बेच सकते हैं. ऐप के जरिए किसान व खरीददार दोनों अपनी डिमांड डाल सकते हैं. किसान औषधीय पौधों की खेती की जानकारी लेना चाहें तो हर्बल गार्डन जोगिंद्रनगर में ट्रेनिंग करवाई जाती है. गांवों में किसान प्रशिक्षण के लिए आग्रह करते हैं तो 10-15 किसानों को एकत्रित करके उन्हें अधिकारियों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा सकता है.