धर्मशाला: पूर्व मंत्री और AICC सचिव सुधीर शर्मा ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने किसान बिल को लागू कर किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सुधीर शर्मा ने कहा कि एक तरफ प्रदेश के लोग कोरोना महामारी से परेशान हैं और दूसरी तरफ किसान बिल अन्नदाताओं को परेशान कर रहा है. प्रदेश के लोगों ने कोरोना काल में मुश्किल से खेती-बाड़ी कर खाद्यान्न का उत्पादन किया लेकिन अब जब उनकी फसल तैयार होकर बाजार में आ रही है तो उन्हें अपनी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है.
सुधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश के किसानों को मक्की और धान का वाजिब दाम तक नहीं मिल रहा. जिस किसान बिल को केंद्र और राज्य सरकार किसान हितैषी बता रही है उसके शुरुआती परिणामों से पता चल रहा है कि किसान बिल के दूरगामी परिणाम क्या होंगे. पूर्व मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार मक्की का एमएसपी 1,850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है लेकिन प्रदेश के किसानों से कोई भी सरकारी एजेंसी मक्के की खरीद नहीं कर रही. परिणामस्वरूप किसानों को अपनी फसल 800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है.
प्रदेश में खरीफ की प्रमुख फसल मक्की है लेकिन सरकार की नजरों में न तो यह फसल मायने रखती है न किसान. इसके लिए तो पूंजीपति व्यापारी खास हैं तभी तो सरकार द्वारा अभी तक कोई खरीद केंद्र तक स्थापित नहीं किया गया जबकि व्यापारी गांव-गांव पहुंच कर औने-पौने दामों पर किसानों की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं. जिस खुले बाजार का हवाला किसान बिल में दिया जा रहा है उसी का नतीजा आज सबके सामने है. एक ओर जहां मेहनतकश किसान खुले बाजार में अपनी फसल को विवशता से लुटता देख रहा है तो वहीं, दूसरी ओर सरकार आंख-कान बंद कर मौज उड़ा रही है.