धर्मशाला: तिब्बत पर पूरी तरह से कब्जा करने के लिए चीन ने अब एक नई रणनीति बनाई है. इस रणनीति के तहत अब चीन तिब्बत के लोगों को भाषीय आधार पर शिकस्त देना चाह रहा है, यानी चीन की भाषा को तिब्बत के लोगों पर पूरी तरह से थोप कर वहां के लोगों को अपने रंग में रंग देना चाहता है ताकि आने वाले समय में वहां मौजूद कोई भी नस्ल न तो तिब्बत की आजादी की बात कर सके और ना ही इस राष्ट्र की.
मंदारिन भाषा में पठन-पाठन
वर्ष 2014 की जनगणना के मुताबिक तिब्बत की जनसंख्या 31 लाख 80 हजार के करीब है, जो कि तिब्बत की अपनी मूल भाषा का ज्ञान तो रखती है. मगर अब उनका ज्यादातर पठन-पाठन मंदारिन भाषा में ही हो रहा है. इतना ही नहीं यहां तमाम सरकारी आदेश भी अब धीरे-धीरे मंदारिन भाषा में ही सुचारू हो रहे हैं, यहां सार्वजनिक स्थलों पर, यातायात सुविधाओं पर जो साइन बोर्ड दिखते हैं वो भी मंदारिन भाषा में ही नजर आते हैं.
चीन कर रहा सोची समझी साजिश
जानकार बताते हैं कि चीन ये सब सोची-समझी साजिश के तहत ही कर रहा है, वो आने वाली नस्ल को भी मंदारिन भाषा के रंग में रंगना चाह रहा है ताकि भविष्य में तिब्बत की मूल आत्मा यानी यहां की भाषा का विलुप्तीकरण किया जा सके. निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि चीन ये सब कोई नया नहीं कर रहा.