हमीरपुर:जिला हमीरपुर में बेमौसम बारिश और सूखे से गेहूं की पैदावार महज 25 से 30 प्रतिशत तक सिमट गई है. 70 प्रतिशत पैदावार पहले सूखे और बाद में बेमौसम बारिश के कारण बर्बाद हो गई. फसल की कटाई के बाद अब जिला कृषि विभाग पैदावार के अंतिम आंकड़ों के लिए एक बार फिर फील्ड सर्वे में जुटा है, लेकिन अभी तक जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक महज 25 से 30 प्रतिशत पैदावार किसान ले पाए हैं.
हमीरपुर जिले में गेहूं की अधिकतर खेती बारिश पर निर्भर है. ऐसे में इस बार बिजाई के बाद बारिश ना होने के चलते सूखे की मार किसानों को झेलनी पड़ी थी. 40 से 60 प्रतिशत गेहूं सूखे की मार के वजह से ही तबाह हो गई थी, जबकि इसके बाद बेमौसम बारिश के कारण 10 से 15 प्रतिशत फसल बर्बाद हुई है. 10 प्रतिशत गेहूं की पैदावार तो समय पर कटाई ना होने की वजह से खेतों में ही सड़कर काली पड़ गई है. फसल के साथ ही थोड़ी भी काले रंग की हो गई है जो कि पशुओं के खाने लायक नहीं है.
बेमौसमी बारिश की मार से इस बार निचले हिमाचल के किसानों को गेहूं के उत्पादन में बहुत कम पैदावार होने से चिंता बढ़ी है. बता दें कि जिला हमीरपुर में 30 हजार हैक्टेयर भूमि पर गेहूं उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस बार गेहूं फसल में केवल मात्र 25 प्रतिशत तक ही उत्पादन हो पाया है. बेमौसमी बारिशों के होने से पिछले बीस सालों बाद इस तरह किसानों को गेहू की फसल के उत्पादन होने से दिक्कतें झेलनी पडी है. वहीं, पशुओं के लिए चारा भी काला होने से पशुपालक भी चिंता से जूझ रहे हैं. अगर कृषि विभाग के विशषज्ञों की मानें तो बारिश की वजह से ऐसा हुआ है, लेकिन अगले सीजन से पहले किसानों को जागरूक करके इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए काम किया जाएगा.
75,000 परिवार किसान करते हैं गेहूं की खेती, पिछले साल 35% कम हुई थी पैदावार: 30,000 हेक्टेयर में हमीरपुर जिले में गेहूं की खेती की जाती है. एक हेक्टेयर में 19 क्विंटल पैदावार की उम्मीद होती है, जबकि इस बार 7 से 8 क्विंटल पैदावार प्रति हेक्टेयर किसानों को प्राप्त हुई है, जबकि पिछले साल यह पैदावार 13 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. पिछले साल 30 से 35% कम पैदावार देखने को मिली थी, जबकि इस बार तो 25 से 30% पैदावार ही किसानों को प्राप्त हुई है. हमीरपुर जिले में 75,000 किसान परिवार गेहूं की खेती 30,000 हेक्टेयर भूमि में कर रहे हैं.