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डक बॉल का निर्माण बंद कर भागे ठेकेदर-लेबर, ग्रामीणों की MLA से जल्द काम शुरू करवाने की मांग

जिला हमीरपुर के जोल में करीब 12 लाख से बन रही डक बॉल का निर्माण कार्य केवल 44 मीटर तक स्वीकृत हुआ हैं. जबकि ग्रामीण 85 मीटर तक निर्माण करने की मांग कर रहे हैं. विभाग ने साइट पर जाकर अनियमितता के आरोपों का निरीक्षण किया है.

डक बॉल का निर्माण बंद
डक बॉल का निर्माण बंद

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Published : Jan 7, 2021, 10:34 PM IST

भोरंज/हमीरपुर: जल शक्ति विभाग के उपमंडल भोरंज के अधीन उठाऊ पेयजल योजना जोल के साथ सीर खड्ड के किनारे योजना के जल स्तर को बढ़ाने के लिये बन रही डक बॉल का निर्माण कार्य बंद हो गया है. निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार और लेबर काम छोड़कर चली गई है. इसकी शिकायत ग्रामीणों और जागृति एवं जन कल्याण समिति के सदस्यों ने भोरंज की विधायक कमलेश कुमारी से लिखित रूप में दी है औऱ जल्द निर्माण कार्य शुरू करवाने की मांग की है.

डक बॉल के निर्माण का काम बंद

बता दें कि ग्रामीणों की ओर से डक बॉल के निर्माण में अनियमितता के आरोप लगाये थे. इस पर विभाग के अधिशासी अभियंता अनुपम ठाकुर ने सहायक अभियंता और विभागीय कर्मचारियों के साथ निर्माण कार्य का निरीक्षण करके ठेकेदार की गलती पाई थी और डक बॉल की नींव की दोबारा खुदाई करके निर्माण कार्य शुरू करने के आदेश दिये थे. क्योंकि ग्रामीणों का आरोप था कि निर्माण कार्य के लिये सीर खड्ड की बजरी और बोल्डर पत्थर का प्रयोग किया गया. जल शक्ति विभाग के अधिकारियों के आदेशों के बावजूद ठेकेदार ने डक बॉल का निर्माण कार्य शुरू करने के बजाए बंद कर दिया है और अपनी लेबर का हटा लिया गया है.

लोगों ने सौंपा शिकायत पत्र

जागृति एवं जन कल्याण समिति के प्रधान कुलदीप चंद, उप प्रधान प्रदीप कुमार सहित 50 ग्रामीणों ने विधायक कमलेष कुमारी को अपना शिकायत पत्र सौंप कर डक बॉल का निर्माण कार्य किसी ईमानदार व्यक्ति को देने की बात कही. इसके आलवा 90 सीमेंट की बोरियों की भी भरपाई करवाने की मांग की है.

क्या कहते हैं सहायक अभियंता

जल शक्ति विभाग भोरंज उपमंडल के सहायक अभियंता अनिल शर्मा का कहना है कि जोल में करीब 12 लाख से बन रही डक बॉल का निर्माण कार्य केवल 44 मीटर तक स्वीकृत हुआ हैं. जबकि ग्रामीण 85 मीटर तक निर्माण करने की मांग कर रहे हैं. विभाग ने साइट पर जाकर अनियमितता के आरोपों का निरीक्षण किया है. उस समय ग्रामीणों में स्वयं काम करवाने की बात कही थी, लेकिन ठेकदार की लेबर दस दिन तक बिना काम से रूकी रही. ऐसे में ग्रामीणों द्वारा कार्य शुरू न करवाने पर ठेकेदार व लेबर चली गई है. इसके पीछे ग्रामीणों की ही गलती है.
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