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कोरोना से जंग: पहली बार घर से दूर रहना था चैलेंज, ड्यूटी में समाप्त हुआ महामारी का डर - चैरिटेबल हॉस्पिटल भोटा

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में तैनात नर्स और मेडिकल स्टाफ हमीरपुर जिला के ही नहीं बल्कि बाहरी जिलों के कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभा चुके हैं. संक्रमित मरीजों का सफल उपचार करने वाली मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की नर्सों का कहना है कि यह उनके लिए अलग अनुभव था.

Medical College Hamirpur
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की नर्स

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Published : Jun 14, 2020, 7:59 PM IST

हमीरपुर: जिला की महिलाएं कोरोना वायरस की महामारी से जारी जंग में अहम भूमिका अदा कर रही हैं. जिला के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में तैनात नर्स और मेडिकल स्टाफ हमीरपुर जिला के ही नहीं बल्कि बाहरी जिलों के कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभा चुके हैं. संक्रमित मरीजों का सफल उपचार करने वाली मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की नर्सों का कहना है कि यह उनके लिए अलग अनुभव था. पहले खबरों में बीमारी के बारे में सुना था, लेकिन जब वह मरीजों का उपचार करने अस्पताल में पहुंची तो उन्हें बिल्कुल डर नहीं लगा.

स्टाफ नर्स शशी ठाकुर ने बताया कि उनके लिए यह गर्व की बात है कि वे कोरोना योद्धा बनकर कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में आगे आए हैं. वहीं, स्टाफ नर्स कंचन ने बताया कि भोटा हॉस्पिटल में उनकी ड्यूटी किसी चैलेंज से कम नहीं थी. उन्होंने बताया कि वे पहली बार इतने दिन अपने बच्चों और घर से दूर रही है. वहीं, राधिका स्टाफ नर्स ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर उनके अंदर एक डर था, लेकिन भोटा हॉस्पिटल में ड्यूटी के दौरान उनका डर पूरी तरह से समाप्त हो गया.

वीडियो.

आपको बता दें कि अप्रैल महीने में चैरिटेबल हॉस्पिटल भोटा को सेकेंडरी आइसोलेशन अस्पताल बनाया गया था. यहां पर सबसे पहले ऊना जिले के कोरोना संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए लाया गया था. इस अस्पताल में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के स्टाफ की ड्यूटी लगी थी. लगभग 8 से 9 बैच अस्पताल में ड्यूटी के लिए भेजे गए हैं. यहां पर एडमिट लगभग सभी मरीजों का सफल उपचार हो चुका है.

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