हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

मास्टर जी का लाजवाब किचन गार्डन! 400 से अधिक पेड़ पौधे, पक्षियों के लिए बने हैं घरोंदे

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में भौतिक विज्ञान के अध्यापक बलराज जसवाल ने घर में बगीचा तैयार किया है. इस बगीचे में 400 से अधिक पेड़-पौधे हैं. बलराज जसवाल के गार्डन में 12 महीने फल और सब्जियां मिलती हैं. इसके अलावा बलराज ने अपने घर में पक्षियों के लिए बांस के घोंसले भी तैयार किए हैं. बता दें कि बलराज जसवाल की मां स्वर्गीय माया जसवाल बागवानी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान पा चुकी हैं. उन्हीं से प्रेरणा लेकर बलराज जसवाल उनके सपने को आगे बढ़ा रहे हैं.

Photo
फोटो

By

Published : Apr 2, 2021, 7:53 PM IST

हमीरपुर:हीरानगर में भौतिक विज्ञान के अध्यापक बलराज जसवाल ने घर पर ही एक बागीचा तैयार किया है जिसमें 400 से अधिक पौधे हैं. इस गार्डन में ऐसे पौधे भी देखेने को मिलेंगे जिनके नाम शायद आपने भी पहली बार सुनें होंगे. रात रानी की खुशबू से हर कोई वाकिफ है, लेकिन दिन का राजा भी एक पौधा है जो पर्यावरण को अपनी खूशबू से खुशनुमा करता है.

12 महीने तैयार होती हैं फल-सब्जियां

शिक्षक बलराज के घर के आंगन में सर्द और गर्म इलाके के फल जैसे सेब, आम, चीकू, अमरूद, नींबू तैयार हो रहे हैं. साथ ही नमी वाले क्षेत्रों में तैयार किए जाने वाली इलायची और कपूर की पौध को तैयार किया गया है. तेज पत्ते का पौधा भी हर्बल गार्डन की शोभा बढ़ा रहा है. 12 महीने इस गार्डन में कोई न कोई फल जरूर होता है.

वीडियो

बलराज लगभग एक दशक से चीकू की पैदावार कर रहे हैं. इसके साथ ही सेब, स्ट्रॉबेरी और आम की कई प्रजातियां उनके गार्डन में हैं. बलराज जसवाल का कहना है कि उनके आंगन में लगे चीकू के पेड़ की मिठास का कोई मुकाबला नहीं है. सब्जियों की बात करें तो सब्जियां भी यहां 12 महीने तैयार होती हैं.

पक्षियों के लिए घर में बांस के घोंसले

पक्षियों के लिए शिक्षक बलराज ने अपने घर में बांस के घोंसले बनाए हैं. उनका कहना है कि उनके हर्बल गार्डन में कई ऐसे पक्षी भी आते हैं जो आमतौर पर उन्हें कहीं और जगहों पर नजर नहीं आते हैं. इनमें गौरेया चिड़िया भी शामिल है जो अब कम ही दिखाई देती है. बलराज कहते हैं कि पर्यावरण जब शुद्व होगा तो पक्षी भी आसानी से सांस ले पाएंगे. कच्चे मकानों में घोंसले बनाने की जगह पक्षियों के लिए होती थी, लेकिन पक्के मकानों में यह जगह नहीं बची तो उन्होंने बांस के घोंसले खुद ही बना दिए. इन घोंसलों में गौरेया ने अंडे दिए और अब नन्हे पक्षियों को गौरेया यहां रोज दाना खिलाती है.

मां राष्ट्रीय स्तर पर कमा चुकी हैं नाम

बागबानी और खेती के क्षेत्र में शिक्षक बलराज की मां स्वर्गीय माया जसवाल ने भी राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है. उन्हें हिमाचल प्रदेश के तत्तकालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से सम्मान मिल चुका है. गुजरात में उन्हें श्रेष्ठ किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा कृषि विभाग ने साल 2008 में माया जसवाल को उत्कष्ट कृषक पुरस्कार से भी सम्मानित किया था.

लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं बलराज

शिक्षक बलराज सह अध्यापकों और लोगों की प्रेरणा का स्त्रोत बने हैं. बागबानी से जुड़े विशेषज्ञ भी उनसे राय लेते हैं. बाल स्कूल हमीरपुर में कार्यरत बलराज के साथी शिक्षक राजेंद्र शर्मा का कहना है कि उन्हें साथी बलराज से प्रेरणा मिलती है. वह गांव में अपने घर के साथ लगती जमीन में एक हर्बल गार्डन तैयार कर रहे हैं. उन्हें शिक्षक बलराज से ही इसकी प्रेरणा मिली. इस कार्य के लिए बलराज उनकी मदद भी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:टुटू पीएचसी में एक डॉक्टर के सहारे सैकड़ों मरीज, नहीं मिल रही ब्लड टेस्ट और एक्स-रे की सुविधा

ABOUT THE AUTHOR

...view details