हमीरपुर: वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकटपूर्ण समय में देवभूमि हिमाचल में बहुत से लोगों ने कोरोना हीरो बनकर अपने सेवाभाव की छाप छोड़ी. कोरोना हीरोज की इस श्रेणी में आम आदमी से लेकर डॉक्टर्स, पुलिस कर्मी व अफसर शामिल हैं.
मार्च में जिस समय लॉकडाउन लगाया गया, समाज के सभी वर्गों में डर का माहौल पैदा हो गया. हिमाचल में आरंभिक समय में कोरोना की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में थी, लेकिन जब केस बढ़ने लगे तो कोरोना वॉरियर्स ने मोर्चा संभाल लिया.
लॉकडाउन के समय स्वयंसेवी संगठनों के साथ सरकार ने भी श्रमिकों व निर्धन लोगों के लिए राशन आदि की व्यवस्था की. आम ग्रामीण महिलाओं से लेकर महिला विधायक तक ने मास्क सिलने और बांटने का सिलसिला शुरू किया.
अस्पतालों में मरीज पहुंचने लगे तो डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ ने अपनी भूमिका शुरू कर दी. शिमला में ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स नामक संस्था चलाने वाले सरबजीत सिंह बॉबी ने अस्पताल जाने वाले मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था की. साथ ही उनके द्वारा शुरू किए गए लंगर में मरीजों और तीमारदारों को भोजन की कोई कमी नहीं थी.
स्वास्थ्य विभाग में जब केंद्र व निजी संस्थाओं की तरफ से पीपीई किट्स व अन्य उपकरणों की सप्लाई आई तो डिप्टी डॉयरेक्टर हेल्थ डॉ. रमेश चंद ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर सामान की ढुलाई तक खुद की. कांगड़ा जिला और ऊना जिला के डीसी लगातार कोरोना सिपाही की तरह मोर्चे पर डटे थे.
डाक विभाग की अहम भूमिका
डाक विभाग ने पेंशन वितरण का काम बाखूबी निभाया. अकेले ऊना डिविजन ने घर-घर जाकर पूरे लॉकडाउन पीरियड में लाखों रुपए की पेंशन बुजुर्गों व विधवाओं को दी. डाक विभाग के सराहनीय कार्य के लिए ऊना के डाक मंडल को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से प्रशस्ति पत्र भी मिला.
अगर हमीरपुर जिला की बात की जाए तो यहां पर सदर थाना हमीरपुर के एसएचओ समय तक भोरंज थाना के एसएचओ और दर्जनों पुलिस कर्मचारी भी जिला में कोरोना पॉजिटिव हो गए, हाल ही में हमीरपुर जिला में ज्वाइन करने वाले डीएसपी रोहित डोगरा भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए.