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मानवता की मिसाल: तड़पते हुए बेसहारा युवक को पहुंचाया अस्पताल, बची जान

रोगी के माता पिता की मौत हो चुकी है. जबकि घर में और कोई नहीं है. वहीं, उसके अन्य रिश्तेदार भी सामने नहीं आए हैं. हैरानी की बात तो तब हुई जब टांडा में ऐसे युवक को दाखिल करने से प्रशासन की ओर से मना कर दिया गया. प्रशासन का तर्क है कि किसी एटेडेंट का साथ होना आवश्यक है.

Social workers and officials hospitalized the helpless patient in hamirpur
तड़पते हुए बेसहारा युवक को अस्पताल पहुंचाया अस्पताल

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Published : Nov 30, 2019, 12:45 PM IST

हमीरपुर:जिला हमीरपुर के उपमंडल नादौन के तहत इलाज के लिए तड़पते हुए एक युवक को एक स्थानीय समाजसेवी और प्रशासनिक अधिकारियों ने पहल करते हुए अस्पताल पहुंचा कर मिसाल कायम की है. भागदौड़ भरी इस जिंदगी में एक बेसहारा युवक को सहारा देकर इन लोगों ने मानवता का उदाहरण पेश किया है. बता दें कि उक्त मरीज बीमार हो गया था और उसे सही इलाज नहीं मिल रहा था.

यहां तक कि इस मसले में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार से भी इन लोगों ने बातचीत की और उसके बाद युवक को अब उपचार मिलने के बाद उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है. स्थानीय अस्पताल में उपचाराधीन एक बेसहारा युवक को गंभीर हालत में टांडा तो रेफर कर दिया गया, लेकिन वहां उसके साथ कोई तीमारदार न होने पर उसे अस्पताल प्रबंधन ने दाखिल करने से मना कर दिया.

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वहीं, रेफर होने पर नादौन अस्पताल में भी उसे टांडा ले जाने के लिए किसी रिश्तेदार की ओर से हामी न भरने से वह काफी देर तक स्थानीय अस्पताल में ही तड़पता रहा. इस बारे में जब रमन मनकोटिया को पता चला तो उन्होंने स्थानीय प्रशासन और संबंधित पंचायत प्रधान के सहयोग से उसे टांडा भेजने का प्रबंध किया.

इस कार्य में तहसीलदार नादौन सुमेध शर्मा, थाना प्रभारी प्रवीण राणा, नगर पंचायत सचिव सतीश ठाकुर, कुलदीप कुमार और नायब तहसीलदार मनोहर लाल की भूमिका प्रमुख रही. वहीं, पंचायत प्रधान ग्वाल पत्थर अर्चना कुमारी स्वयं रोगी को लेकर टांडा पहुंचीं.

उनके साथ पुलिस कर्मचारी व नगर पंचायत के कर्मचारी भी साथ गए. 33 वर्षीय प्यार चंद पुत्र प्रभू राम निवासी गांव करड़ी पंचायत ग्वाल पत्थर वीरवार सुबह नादौन बस अड्डे के पास किसी को बेहोश पड़ा हुआ मिला. जिसे कुछ लोगों ने नादौन अस्पताल पहुंचाया. जहां एक दिन के उपचार के बाद उसे टांडा भेज दिया गया.

बता दें कि रोगी के माता पिता की मौत हो चुकी है. जबकि घर में और कोई नहीं है. वहीं, उसके अन्य रिश्तेदार भी सामने नहीं आए हैं. हैरानी की बात तो तब हुई जब टांडा में ऐसे युवक को दाखिल करने से प्रशासन की ओर से मना कर दिया गया. प्रशासन का तर्क है कि किसी एटेंडेंट का साथ होना आवश्यक है.

हालांकि पंचायत प्रधान कहती रहीं कि यदि कोई अनहोनी होती है तो पंचायत पूरा सहयोग करेगी. देर शाम तक भी इस युवक का दाखिला टांडा अस्पताल में नहीं हो सका था. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार से जब बात की गई तो उन्होंने तुरंत कॉलेज के प्रधानाचार्य से बात करके इस रोगी का दाखिल करवाया और उसे हर संभव सहायता उपलब्ध करवाने का आदेश दिया.

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