सुजानपुर: इन दिनों सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. त्योहारों के सीजन में महंगाई के दौर ने आम आदमी को निराश कर दिया है. रसोई चलाने के लिए मूलभूत चीजों के दाम बढ़ने से गृहणियों में निराशा है.
कोरोना महामारी ने जहां पूरे देश की आर्थिकी को कमजोर दिया है. वहीं, अब महंगाई ने लोगों की मुसीबतों में और इजाफा किया है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोगों को दो वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो गया है.
कोरोना महामारी के दौरान देश में उद्योग धंधे ठप्प पड़ गए, जिस वजह लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार होकर घरों को लौट आए. प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी के साधन छीन गया. वहीं, दूसरी ओर देश में खाद्य पदार्थों की महंगाई ने आम आदमी का जीवन दुश्वार कर दिया है. कोरोना के साथ पड़ी महंगाई की दोहरी मार ने लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी है.
इन दिनों आलू 60 से 70 रुपये प्रति किलो जबकि प्याज 80 से 100 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है, जिसे खरीदना आम आदमी के बस से बाहर है. वहीं, लॉकडाउन से पहले लहसुन 60 से 70 रुपये किलो बिक रहा था, जो अब करीब 170 रुपये किलो हो गया है. ऐसे में इक्का-दुक्का ग्राहक ही लहसुन खरीद रहा है.
साग-सब्जी महंगी है लोग नॉन-वेज को ऑप्शन के तौर पर देख सकते हैं, मगर दुर्भाग्य की बात ये है कि आजकल मांस मछली के रेट भी पहले से ज्यादा बढ़ चुके हैं. पहले मांस मार्केट में 100 से 120 रुपये प्रति किलो बिकता था, लेकिन अब ये बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, अंडे के दामों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है और मछली के दामों में भी लगातार वृद्धि हो रही है.
बात सिर्फ सब्जियों, मसालों और मांस-मछली तक ही सीमित नहीं है तेल और घी के रेटों में काफी बढ़ोतरी हुई है. लोगों ने किचन गार्डन में साग-सब्जियां उगाना बंद कर दिया है. आज के दौर में सभी छोटी से छोटी चीज के लिए बाजार के ऊपर निर्भर हो गए हैं, जिस वजह से बाजार में मांग अधिक होने से कीमतों में उछाल देखा जा रहा है.
मंहगाई बढ़ने का एक बड़ा कारण इस बार हुई बेमौसमी बारिश को माना जा रहा है. ज्यादा बारिश होने से फसलें खराब हुई जिस वजह से बाजार में वस्तुओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है और डिमांड ज्यादा बढ़ गई जिसका परिणाम महंगाई के तौर पर सबके सामने है.
रसोई का बजट बिगड़ने से परेशान सुनजानपुर के लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि महंगाई पर रोक लगाकर आम आदमी को राहत दी जाए. लोगों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर मंहगाई पर लगाम लगाने के प्रयास नहीं होता, तो चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा. कोरोना काल के साथ-साथ मंहगाई काल ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. मंहगाई के इस दौर से उभरने के लिए फिलहाल हरकोई सरकार से उम्मीद लगा रहा है.