हमीरपुर: दल बदल और सियासी उठापटक के बाद हॉट सीट हमीरपुर संसदीय सीट प्रदेश ही नहीं देशभर में चर्चा का विषय बन गई है. यूं तो पहले से ही भाजपा के सांसद अनुराग ठाकुर के संसद में गांधी परिवार पर तल्ख टिप्पणी से आहत कांग्रेस हाईकमान इस सीट को हर हाल में जीतने का दावा कर रही थी, लेकिन अब इस दावे को भाजपा के पूर्व सांसद और हिमाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुरेश चंदेल के कांग्रेस में मिलन ने और मजबूती दे दी है.
सुरेश चंदेल और अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो) बता दें कि अकेले सुरेश चंदेल ही हमीरपुर संसदीय सीट में कांग्रेस के लिए संजीवनी और भाजपा के लिए जीत की राह में रोड़ा नहीं है बल्कि भाजपा के इस गढ़ में अनुराग ठाकुर के विजयपथ में कांटे और भी है. सुरेश चंदेल ने तो कांग्रेस में शामिल होकर भाजपा और धूमल परिवार को बड़ा झटका दे ही दिया है, लेकिन और भी कई ऐसे भाजपा के दिग्गज और रूठे हुए नेता है जो लोकसभा चुनाव में पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.
वैसे तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में रूठे नेताओं और पदाधिकारियों की कमी नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव के नजदीक इन मनमुटाव पर पार पाने में जो पार्टी सफल होती है उसकी जीत भी आसान हो जाती है.
हमीरपुर जिला से बड़ी लीड ना मिली तो बढ़ सकती है मुश्किलें
हमीरपुर संसदीय सीट में भाजपा का गढ़ जिला हमीरपुर यदि बड़ी लीड अनुराग ठाकुर को नहीं देता है तो यहां से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यहां भोरंज विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक अनिल धीमान पार्टी में उचित मान-सम्मान ना मिलने की वजह से नाराज हैं.
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर कमलेश कुमारी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया था. कई बड़े कार्यक्रमों में अनिल धीमान नदारद रहे हैं. इसी तरह से कभी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेहद करीबी रहे जिला परिषद सदस्य लेखराज शर्मा भी अपने कारोबार इत्यादि बंद होने से आहत हैं. इनके विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा के प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री को हार का सामना करना पड़ा था.
सुरेश चंदेल और अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो) इसके अलावा हाल ही में हमीरपुर भाजपा युवा मोर्चा से भी दो पदाधिकारी इस्तीफा दे चुके हैं उनके घर वापसी भी अभी तक नहीं हो सकी हैं. यहां तक की भाजपा के संसदीय प्रवक्ता दीपक शर्मा भी भाजपा को छोड़कर फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.