हमीरपुर: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू रविवार यानी आज सुजानपुर के चार दिवसीय राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का विधिवत शुभारंभ करेंगे. मुख्यमंत्री रविवार को दोपहर बाद साढ़े तीन बजे एनआईटी के हेलीपैड पर उतरेंगे और उसके तुरंत बाद सड़क मार्ग से सुजानपुर के लिए रवाना होंगे. सुजानपुर में वह पारंपरिक शोभायात्रा में भाग लेंगे और मुरली मनोहर मंदिर में पूजा अर्चना के बाद विभागीय प्रदर्शनियों और सरस मेले का आगाज करेंगे. वहीं, मुख्यमंत्री का रात्रि ठहराव सर्किट हाउस हमीरपुर में होगा और वह सोमवार सुबह शिमला लौट जाएंगे.
बता दें कि इस बार राष्ट्रीय स्तरीय होली उत्सव सुजानपुर में सरस मेले का आयोजन किया जा रहा है. वहीं, सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया जाएगा. 5 मार्च से 8 मार्च तक मनाए जाने वाले इस मेले में लोग खूब मनोरंजन कर सकें इसके लिए पंजाबी गायकों को विशेष रूप से बुलाया गया है. पहली सांस्कृतिक संध्या यानी 5 मार्च को पंजाबी गायक काका खूब धमाल मचाएंगे. वहीं, दूसरी सांस्कृतिक संध्या पहाड़ी कलाकारों के नाम रहेगी. जिसमें विशेष तौर पर नाटी किंग कुलदीप शर्मा अपनी प्रस्तुति देंगे.
इसके अलावा मंगलवार 7 मार्च को पंजाबी गायक शिवजोत और पहाड़ी गायक राजीव थापा प्रस्तुति देंगे. अंतिम सांस्कृतिक संध्या में 8 मार्च को महिला दिवस स्पेशल होगा, जिसमें पंजाबी गायक मन्नत नूर मुख्य कलाकार होंगी. वहीं, प्रशासन ने भी मेले को सफल बनाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं. मेले को आकर्षक बनाने के लिए भरसक प्रयास किए गए हैं. मेले में 26 राज्यों की संस्कृति को दर्शाने के लिए प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इसके साथ ही हिमाचल के स्वयं सहायता समूहों के सामान की प्रदर्शनियों को भी लगाया जाएगा.
मेले का इतिहास तीन सौ साल पुराना: वहीं, आपको बता दें कि सुजानपुर की होली अपने आप में सैकड़ों सालों का इतिहास समेटे हुए है. रियासतों के दौर में शुरू हुई परंपरा आज भी यहां पर जारी है. सुजानपुर का होली मेला देशभर में काफी प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि मेले का इतिहास तीन सौ साल पुराना है. इतिहासकारों का कहना है कि कटोच वंश के 481वें महाराजा संसार चंद ने सुजानपुर के चौगान में 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राजमहल में तैयार खास तरह के गुलाल होली खेली थी. सुजानपुर नगर जो आज शहर हो चुका है यहां पर करीब 300 वर्ष पुराने राधा कृष्ण मंदिर से होली का राजा ने आगाज किया था. कहा जाता है कि सुजानपुर टीहरा में होली रंग तालाब में तैयार किया जाता है और यह उत्सव तीन दिन तक चलता है. रियासतों का दौर तो अब बीत गया है लेकिन इस उत्सव में मुख्य अतिथि के लिए आज भी रथ लाया जाता है. इसमें सवार होकर मुख्य अतिथि शोभायात्रा में भाग लेते हैं.
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