हमीरपुर:भोरंज विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नाबार्ड के तहत करोड़ों की लागत से निर्माणाधीन पुल के ध्वस्त होने के मामले में प्रदेश सरकार ने जांच बिठा दी है. प्रदेश सरकार के निर्देशों पर ईएनसी शिमला के क्वालिटी कंट्रोल सेल के अधिकारी शनिवार को मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करेंगे. बताया जा रहा है कि अधिकारियों की इस टीम के विजिट के बाद ही इस प्रोजेक्ट का भविष्य तय हो पाएगा. निरीक्षण के बाद जो तथ्य निकलकर सामने आएंगे, उसके आधार पर ही आगामी कार्रवाई की जाएगी. इस प्रोजेक्ट की निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और अन्य पहलुओं को लेकर यह टीम जांच करेगी.
इसके अलावा इस मामले में अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग हमीरपुर की तरफ से भोरंज मंडल के अधिशासी अभियंता और फील्ड स्टाफ से शुक्रवार शाम तक प्रोजेक्ट की तमाम रिपोर्ट तलब की गई है. यह रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी. विभागीय अधिकारियों अथवा फील्ड स्टाफ की लापरवाही पाए जाने पर टीम के विजिट के बाद बड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है. नाबार्ड की योजना के तहत 2 करोड 97 लाख की लागत से कोट से जाहू वाया मुंडखर तुलसी के 1800 मीटर लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट में सनेहल खड्ड के 75 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया जा रहा है.
क्या है पूरा मामला:नाबार्ड के तहत निर्मित किए जा रहे इस प्रोजेक्ट के पुल के निर्माण में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने पिछले दिनों कमियां पाई थी. पिछले बुधवार को देर शाम इस प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया. विभाग और प्रशासन का दावा है कि विभागीय जांच के दौरान निर्माण कार्य में तकनीकी खामियां पाए जाने पर पुल के निर्माणाधीन हिस्से के ढांचे को ठेकेदार के द्वारा ही गिराया गया है. बताया जा रहा है कि 4 दिन पहले लोक निर्माण विभाग हमीरपुर के अधीक्षण अभियंता ने अपनी टीम के साथ साइट का दौरा किया था.
पुल के 25 मीटर लंबे स्पेन पर लेंटर डालने की तैयारी पूरी की जा चुकी थी, लेकिन विभागीय जांच में एलाइनमेंट में गड़बड़ प्रतीत होने पर अधिकारियों ने इसे दुरुस्त करने के आदेश ठेकेदार को दिए थे. बताया जा रहा है कि विभागीय निर्देशों के बाद जैसे ही शटरिंग खोली गई तो निर्माण के लिए लगाया गया तमाम ढांचा दो टुकड़ों में टूट गया. शटरिंग खोले जाने के दौरान ही निर्माण के लिए खड़े किए गए ढांचे के ध्वस्त होने की बात कही जा रही है. विभाग और प्रशासन पुल के ध्वस्त होने के दावे को नकार रहा है. जबकि यह तर्क दिया जा रहा है कि विभागीय निर्देशों के बाद ठेकेदार ने स्वयं इस ढांचे को गिराया है.