हमीरपुर :देश आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. आजादी के 75 वर्षों में देश ने हर मोर्चे पर तरक्की (Indian Independence Day) की है. लेकिन इस तरक्की में हिस्सेदारी उन संस्थाओं की भी है जिन्होंने अपने फायदे के लिए नहीं बल्कि समाज की बेहतरी के लिए सेवा का रास्ता चुना और एक मिसाल पेश की (Changemakers) है. क्योंकि उन्होंने दूसरों की बेहतरी में अपना फायदा देखा, ऐसे लोग और एसी संस्थाएं समाज में बदलाव की बयार (Changemakers) लाती हैं. ऐसी ही एक संस्था है हिमाचल के हमीरपुर जिले में काम कर रही धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान, सीनियर सिटीजन काउंसिल हमीरपुर की पहल से मेडिकल काॅलेज हमीरपुर में धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान मरीजों और तीमारदारों को तीन टाइम का निशुल्क भोजन दशकों से (Free Food NGO in Himachal) उपलब्ध करवा रही है.
मरीजों को देते हैं मुफ्त खाना-यह संस्था पिछले ढाई दशक से मानवता की सेवा में जुटी है. खास बात यह है कि इस संस्था में बुजुर्ग नागरिक अहम भूमिका निभा रहे हैं. सीनियर सिटीजन काउंसिल हमीरपुर की पहल से हमीरपुर मेडिकल कॉलेज (hamirpur medical college) में धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान मरीजों और तीमारदारों को तीन वक्त का निशुल्क भोजन मुहैय्या करवाते (NGO provides free food to patients) हैं. ये संस्था पिछले करीब ढाई दशक से ये काम कर रही है. इस संस्था के संस्थापक सदस्यों की उम्र आज 89 और 93 साल की हो चली है लेकिन सेवा को लेकर उनका जज्बा आज भी कायम है.
कोरोना काल में भी जारी रहा लंगर- साल 1997-98 में पांच लोगों ने मिलकर इस काम को शुरू किया था. तब मरीजों को दूध, दलिया ब्रेड दी जाती थी. सैंकड़ों लोगों को खाना उपलब्ध करवाने वाली इस संस्था में महज पांच सेवादार (Free Food NGO) है जबकि दर्जनों लोग सेवा भाव से इनके साथ जुड़े हुए हैं. जिसकी वजह से आज ये हमीरपुर के अस्पताल में तीन वक्त का निशुल्क खाना मुहैया करवाते हैं. मरीजों के साथ तीमारदारों को भी मुफ्त भोजन मुहैया (Hamirpur NGO provides food to patients) करवाते हैं.
गरीबों को दवाइयां, शिक्षा और शगुन- हमीरपुर का धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान की सेवा मरीजों और तीमारदारों को भोजन देने तक ही सीमित (Free food in Hamirpur medical college) नहीं है. धर्मार्थ रोगी सेवा संस्थान की ओर से गरीब लड़कियों को शादी पर शगुन से लेकर गरीब मरीजों को निशुल्क दवाएं और गरीब मेधावी छात्रों के पढ़ाई का खर्च भी उठाया जाता है. संस्था के सदस्य ओमप्रकाश के मुताबिक साल में एक बार संस्था जिले की 20 गोशालाओं में 11 लाख की घास या फीड देते हैं. इसके अलावा बीते साल 25 गरीब बेटियों की शादी में 11 हजार रुपये का राशन और शगुन भी देते हैं. इसके अलावा गरीब बच्चों की सालाना पढ़ाई या हॉस्टल का खर्च भी संस्था देती है. करीब 50 ऐसे छात्र हैं, जिनका खर्च संस्था उठा रही है. इसपर हर महीने एक लाख रुपये से ज्यादा का खर्च संस्था की ओर से दिया जा रहा है.
दान पर निर्भर है संस्था- समाज में बदलाव की इबारत लिखने वाली इस संस्था के प्रयासों का ही नतीजा है कि संस्था को दान देने वाले दानी सज्जनों की सूची हजारों में पहुंच गई है. औसतन 3500 लोग सालाना संस्था को नियमित रूप से दान दे रहे हैं. संस्था द्वारा दलिया और दूध 24 घंटे मरीजों को उपलब्ध करवाने की सुविधा भी दी गई है. अगर किसी मरीज, बच्चे के दूध गर्म करना है तो इसकी सुविधा भी संस्था उपलब्ध करवा रही है.