हमीरपुर: त्योहारों सीजन शुरू होते ही फूड सेफ्टी विभाग की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है. बाजार में खाने पीने की चीजों की खपत में भी इजाफा होता है. इस बार कोरोना के चलते फूड सेफ्टी विभाग एक्शन मोड में है. हमीरपुर जिला में छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों के लिए लाइसेंस चैक किए गए हैं. एक दो दुकानदार पाए गए हैं, जिन्हें लाइसेंस लेने के लिए कहा गया है.
लाइसेंस को लेकर बाकायदा कुछ महीने पहले विभाग की ओर से वर्कशॉप भी आयोजित की गई थी. अब अधिकतर दुकानदार बड़े बाजारों में लाइसेंस के साथ ही काम कर रहे हैं. बिना लाइसेंस के कारोबार करने वाले खाद्य पदार्थों से जुड़े व्यापारियों की धरपकड़ के लिए विभाग भी कार्य कर रहा है. हालांकि यह कार्य बड़े बाजारों तक सीमित है.
पहले स्वास्थ्य विभाग देखता था फूड सेफ्टी विभाग का काम
पूर्व में स्वास्थ्य विभाग ही इस कार्य को देख रहा था, लेकिन अब सरकार ने हाल ही में इसके लिए फूड सेफ्टी विभाग अलग से सृजित किया है, जिसके बाद सैंपल की प्रक्रिया तो तेज हुई है लेकिन यहां उपमंडल स्तर तक लागू करना अभी बाकी है. वहीं, हमीरपुर के बाजार से सैंपल तो विभाग लगातार उठा रहा है, लेकिन मैन पावर की कमी विभाग को पेश आ रही है.
हमीरपुर जिला के कारोबारियों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि दुकान के लाइसेंस के लिए ऑनलाइन ही आवेदन करना होता है कर्मचारियों के मेडिकल और अन्य सर्टिफिकेट जैसी कई औपचारिकताएं भी पूरी करनी पड़ती है. विभाग के कर्मचारी समय-समय पर निरीक्षण करने आते हैं. वहां साफ सफाई का ध्यान रखने के निर्देश देते हैं. इसके अलावा सैंपल भी लिए जाते हैं.
उपभोक्ता संरक्षण संगठन हमीरपुर के अध्यक्ष सुशील शर्मा का कहना है कि विभाग में कहीं ना कहीं मैन पावर की कमी है. जिस वजह से व्यापक स्तर पर यह काम नहीं हो पा रहा है. जिला मुख्यालय या बड़े बाजारों में तो सैंपल लिए जाते हैं, लाइसेंस भी चेक किए जाते हैं, लेकिन ग्रामीण स्तर पर यह कार्य नहीं हो रहा है. खंड स्तर पर फूड सेफ्टी ऑफिसर तैनात करने की जरूरत है और सरकार को इस दिशा में कार्य करना चाहिए.