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OPS को लेकर पालमपुर में पूर्व सांसद का प्रदर्शन, हिमाचल के 62 कॉलेज में नहीं हैं प्रिंसिपल - old pension scheme protest palampur

पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने ओल्ड पेंशन स्कीम के समर्थन में कर्मचारियों के साथ संयुक्त कार्यालय भवन पालमपुर में धरना प्रदर्शन किया व सरकार को एक माह में निर्णय लेने की बात कही. उन्होंने ओपीएस की मांग पर कर्मचारियों का समर्थन करते हुए कहा कि न्यू पेंशन स्कीम बहाल करना सरकार का कर्तव्य है. इस योजना से प्रदेश के एक लाख से अधिक कर्मचारी प्रभावित हुए हैं.

Rajan sushant
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Published : Oct 14, 2020, 10:33 PM IST

Updated : Oct 14, 2020, 10:40 PM IST

पालमपुर: पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने ओल्ड पेंशन स्कीम के समर्थन में कर्मचारियों के साथ संयुक्त कार्यालय भवन पालमपुर में धरना प्रदर्शन किया. उन्होंने सरकार से एक माह में निर्णय लेने की बात कही है. ओपीएस की मांग पर कर्मचारियों का समर्थन करते हुए कहा कि न्यू पेंशन स्कीम बहाल करना सरकार का कर्तव्य है. इस योजना से प्रदेश के एक लाख से अधिक कर्मचारी प्रभावित हुए हैं.

डॉ. राजन सुशांत ने बताया कि कर्मचारियों की समस्या को समझते हुए उन्होंने अगस्त माह से अपनी पेंशन सेरेंडर कर दी है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक देश व प्रदेश का कोई भी नेता अपनी पेंशन को सेरेंडर करने आगे नहीं आया है. उन्होंने कर्मचारियों की मांगों को लेकर कहा कि सरकार रोजगार के बड़े-बड़े दावे करती नजर आती है. वर्तमान में प्रदेश भर के 13 लाख बेरोजगारों के लिए मात्र 120 रिक्तियों पर भर्ती करने की अधिसूचना जारी की है.

डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि जो पुलिस कर्मचारियों को ओवरटाइम दिया जाता है, वह 2012 के पे स्केल पर दिया जाता है नाकि 2020 के पे स्केल पर और दूसरा और दूसरा सभी कर्मचारियों को तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट के बाद रेगुलर किया जाता है, जबकि पुलिस कर्मचारियों को 8 साल के बाद रेगुलर किया जा रहा है. यह सरकार का बहुत ही गलत फैसला है. इस मुद्दे को लेकर सरकार से बात करेंगे.

डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि 138 प्रदेश कॉलेज हैं और 62 कॉलेज बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं, जिसका नुकसान यह हुआ है कि 2 साल से डीपीसी नहीं हुई है. लेक्चरर की ग्रेड पे 9 हजार रुपये प्रति महीना है. अगर लेक्चर को प्रोफेसर या प्रिंसिपल बनाना है, तो एक हजार रुपये बढ़ाने पड़ेगा क्या सरकार महीने का 2 लाख बजट भी नहीं दे पाएगी.

क्या यह डेढ़ लाख विद्यार्थियों के भविष्य के लिए 2 लाख रुपये ज्यादा है. दूसरा यूजीसी ने 2006 में सभी प्रदेशों को कहा कि जिन एसोसिएट प्रोफेसर के 3 साल हो जाएगे उन्हे प्रोफेसर लगाने के लिए कहा है, लेकिन यह लोग 2009 से प्रोफेसर बनने को तैयार हैं. सारी योग्ताएं इनके पास है, इनकी पदोन्नति को बिना मतलब के रोका गया है.

डॉ. राजन का सुशांत का कहना है कि इन सारे मुद्दों पर वे शिक्षा मंत्री और सरकार से बात करेंगे और इन मांगो अगर नहीं माना गया जो आंदोलन किया जाएगा. अभी तो कर्मचारी ही इस आंदोलन से जुड़े हैं और विद्यार्थी भी इस आंदोलन से जुड़ेंगे.

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Last Updated : Oct 14, 2020, 10:40 PM IST

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